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राष्ट्रीय इंटर कॉलेज मनाया गया टीचर्स डे।

दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स संवाददाता मुजफ्फरनगर राशिद मलिक।मुजफ्फरनगर। बुढ़ाना  राष्ट्रीय इण्टर कॉलेज  बुढाना में पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधा कृष्णन के जन्मदिन पर शिक्षक दिवस का आयोजन किया सभी छात्राओ ने अपनी अपनी कक्षाओं को आकर्षक ढंग से सजाया और शिक्षकों के सम्मान में एक समारोह का आयोजन किया जिनमें छात्राओ ने पहले कक्षाओं में अध्यापन कार्य कराया और फिर शिक्षक दिवस के अवसर पर  छात्राओं ने शिक्षको के प्रति उनके सम्मान को सांस्कृतिक कार्यकर्मो के द्वारा प्रदर्शित किया । इस अवसर पर कॉलेज के  प्रबंधक मास्टर नाहरसिंह जी ने छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए बताया कि शिक्षक ना सिर्फ हमें शिक्षा देते हैं बल्कि वह हमेशा अच्छा इंसान बनाने की प्रेरणा देते है जिससे  हमें कभी शिक्षक के सराहनीय योगदान को जीवन भर नहीं भूलना चाहिए तथा कॉलेज की प्रधानाचार्य संजीव पंवार ने शिक्षक दिवस पर देश के समस्त शिक्षकों के प्रति सम्मान प्रकट किया और बताया कि प्रत्येक सफल व्यक्ति के पीछे शिक्षकों की मेहनत का विशेष योगदान रहा है।डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का जीवन परिचय व उनके योगदान जानिए
Sep5 सितंबर शिक्षक दिवस मनाया जाता है, हम हर साल इसी तारीख को शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं, शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता है? शिक्षक दिवस 5 सितंबर को ही क्यों मनाया जाता है? इस दिन किसे व क्यों याद किया जाता, और इस दिन हमें कौन सा काम जरूर से करना चाहिए, आइये जानते हैं
 *शिक्षक दिवस क्या है?:* हमारे जीवन में शिक्षकों को सबसे महत्वपूर्ण रोल है, क्योंकि वे हमें न सिर्फ किताबी ज्ञान देते हैं, बल्कि वे प्रैक्टिकली आने वाली चुनौतियों के लिए हमें जागरूक और तैयार भी करते हैं। देखा जाए तो हर वह इंसान शिक्षक है, जिससे आप नैतिक चीजें सीखने को पाते हैं। घर में मां बाप या बड़ा भाई बहन या कोई अन्य, स्कूल में टीचर, कॉलेज में प्रोफेसर यहां तक कि आप अपने सहपाठी या कलीग से भी आए दिन सीखने को पाते हैं, यह सभी शिक्षण का हिस्सा है। यह सीखने समझने की कला हजारों साल से चली आ रही है, ऐसे में हम हमेशा से शिक्षण या शिक्षक के आसपास रहे हैं।श्रीमती अनुपमा चौधरी ने छात्र/छात्राओ को नैतिकता, शिष्टाचार, का पाठ पढ़ाया ओर देशहित में योगदान के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि आज के छात्र कल का भविष्य हैं।
 इस अवसर पर शिक्षकों को सम्मानित किया गया और इस कार्यक्रम को सफल बनाने में सुभाष चंद्र, सुखवीर सिंह, अनन्त तोमर, प्रवीण कुमार,राहुल कुमार रश्मि बालियान, श्रीमती ज्योति, श्रीमती निशा, रेशमा, आदि का  विशेष योगदान रहा ।

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