ग्रेटर नोएडा । विश्वविद्यालय प्रशासन ने आज़ादी की ७५ वीं वर्षगाँठ को बड़े पैमाने पर मनाने का निर्णय लिया है और इस ऋंखला में आज ‘विभाजन की विभीषिका’ की एक प्रदर्शनी के उद्घाटन से किया। यह प्रदर्शनी केंद्र सरकार एवं यूजीसी के दिशानिर्देश के अंतर्गत स्वतंत्रता दिवस से ठीक एक दिन पहले यानी 14 अगस्त तक 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' Partition Horrors Remembrance Day के रूप में मनाने का ऐलान किया। इस मौके पर "देश के बंटवारे के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता। नफरत और हिंसा की वजह से हमारे लाखों बहनों और भाइयों को विस्थापित होना पड़ा और अपनी जान तक गंवानी पड़ी। यह दिन हमें भेदभाव, वैमनस्य और दुर्भावना के जहर को खत्म करने के लिए न केवल प्रेरित करेगा, बल्कि इससे एकता, सामाजिक सद्भाव और मानवीय संवेदनाएं भी मजबूत होंगी। प्रदर्शनी में प्रदर्शित की गयी 52 पिक्चर्स के द्वारा इस विभीषिका को आज के युवाओं को याद दिलाने के लिए की गयी है। प्रदर्शित चित्रों का चयन अखिल भारतीय ऐतिहासिक परिषद एवं इंद्रा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र द्वारा तैयार किया गया है।
इस कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में कुलपति प्रो रवीन्द्र कुमार सिन्हा ने इस विभाजन की विभीषिका के विभिन्न आयामों पर अपनी बात कही और कहा की भारत का बँटवारा माउंटबेटन योजना के आधार पर बनाये गए क़ानून भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के मुताबिक़ किया गया था। इस अधिनियम में कहा गया था कि 15 अगस्त 1947 को धर्म के आधार पे भारत का विभाजन कर भारत व पाकिस्तान नामक दो देश बना दिए और ब्रिटिश सरकार उन्हें सत्ता सौंप दी। इसके साथ ही 14 अगस्त को पाकिस्तान और 15 अगस्त को भारतीय संघ की स्थापना की गई थी। वहीं कुलसचिव डॉ विश्वास त्रिपाठी ने भारत के विभाजन से करोड़ों लोग प्रभावित हुए और विभाजन के दौरान हुई हिंसा में करीब 10 लाख लोग मारे गए और करीब 1.45 करोड़ शरणार्थियों ने अपना घर-बार छोड़कर बहुमत संप्रदाय वाले देश में शरण ली। धर्म के आधार पर हुए इस बंटवारे का दंश आज भी दोनों देश झेल रहे हैं। उन्होंने ने डिरेक्ट ऐक्शन डे और 1905 में हुए विभाजन पर भी चर्चा की।
0 टिप्पणियाँ