गौतम बुद्ध नगर श्रीराधा कृष्ण को झूला झुलाने की परम्परा अत्यन्त प्राचीन है। ब्रह्म-मध्व-गौड़ीय वैष्णव सम्प्रदाय में यह एक विशेष रूप से मनाया जाने वाला त्यौहार है। वर्षा ऋतु में उमस बहुत बढ़ जाती है। अत: भगवान को सुन्दर ठण्डी हवा प्रदान करने के लिए भक्तगण उन्हें प्रतिवर्ष झूले पर बिठाकर झूला झुलाते हैं। भगवान को झूला झुलाने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है तथा भगवान श्री राधा कृष्ण के प्रति प्रेम में वृद्धि होती है। अत: प्रेम के इस उत्सव को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। पाँच दिनों तक चलने वाला यह उत्सव सोमवार, दिनाँक 08 अगस्त, पवित्रोपण एकादशी से प्रारम्भ हो चुका है। श्रद्धालु गण प्रतिदिन सायकाल 7 बजे मन्दिर में जुट जाते हैं तथा भगवान को झूला झुलाकर उनका आशीर्वाद ग्रहण करते हैं तथा भगवान भी अपने भक्तों के इस सेवाभाव का आनन्द लेते हैं। इसके लिये मन्दिर के भक्तों द्वारा एक विशेष झूला तैयार किया गया है जिसे तोरण, विभिन्न प्रकार के पुष्पों तथा अन्य सजावटी साज-सामग्री से सजाया गया है। संध्या काल में इसमें श्री भगवान के विग्रहों को स्थापित करके झूला झुलाया जाता है। इस उत्सव का समापन भगवान बलराम के जन्मोत्सव, बलराम जयन्ती शुक्रवार दिनाँक 12 अगस्त को होगा। बलराम जयन्ती का उत्सव सांय काल में 6 बजे प्रारम्भ होगा। जिसमें भजन, कीर्तन, भगवान का अभिषेक, प्रवचन एवं सभी के लिए भरपेट प्रसादम की व्यवस्था की जाएगी। भगवान का पञ्च गव्य (दूध, दही, शहद, घी, फलों के रस एवं पुष्प) से सुन्दर अभिषेक किया जाएगा। बलराम जी को अत्यन्त प्रिय दूध, दही एवम् शहद से बनने वाला पेय “वारुणि” भगवान को अर्पित किया जाएगा तथा सभी श्रद्धालुओं में इसका वितरण होगा। इस अवसर पर भगवान बलराम की लीलाओं का मंचन करते हुए एक विशेष नाटिका प्रस्तुत की जाएगी तथा मटकी फोड़ उत्सव का भी आयोजन किया जाएगा। इस उत्सव में लगभग 1500 लोगों के भाग लेने की आशा है।
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