ओमवीर आर्य सम्पादक दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स। नोएडा। गौतम बुद्ध नगर के शहर नोएडा, ग्रेटर नोएडा ग्रेटर नोएडा वेस्ट और जेवर विश्व पटल पर अपना नया आयाम गढ़ रहा हैं। लेकिन जिले के रहने वाले आम आदमी बेरोजगारी, बीमारी और शिक्षा से लड़कर कमजोर हो रहा है। ग्रामीण परिवेश में रहने वाले एवं शहरों में रहने वाले आम आदमी जिसकी अनदेखी आज तक सभी सरकारें करती हुई आ रही है। किसी को जिले में किसानों की एवं गरीबों की कोई चिंता नहीं की है जिसकी वजह से आम आदमी शिक्षा, चिकित्सा और रोजगार के वजन से नीचे झुकता हुआ जा रहा है। गौतमबुद्धनगर ग्राम वासियों से ली गई कौड़ियों के भाव की जमीन पर प्राधिकरणों द्वारा करोड़ों रुपए कमाई हो रही हैं लेकिन जिले में किसानों का तिरस्कार जारी है। जिला गौतमबुद्धनगर अंतर्राष्ट्रीय पटल पर अपनी एक अलग छाप छोड़ रहा हैं। पिछले दिनों राइट टू एजुकेशन के नाम पर अभिभावक स्कूलों के तानाशाही रवैया से परेशान होकर विद्यालय से डीएम कार्यालय के एवं शिक्षा विभाग के चक्कर काट रहें हैं। विधालय संचालक अपनी हिटलरशाही अभिभावकों पर चला रहे हैं विद्यार्थियों का एडमिशन ने करके विद्यार्थियों एवं अभिभावकों का शोषण जारी है। पिछली बार का वाक्य एक बड़े स्तर का शिक्षा अधिकारी एक प्राइवेट विद्यालय में पहुंचा विद्यालय में अधिकारी को वार्ता करने के लिए विद्यालय प्रबंधकों द्वारा फील्ड में ही खड़े होकर वापस कार्यालय आना पड़ा। सैकड़ों शिकायत मिलने के बावजूद भी जिला शिक्षा अधिकारी ने आज तक कोई भी सख्त कदम नहीं उठाए हैं केवल खानापूर्ति की गयी है और चिकित्सा के नाम पर प्राइवेट हॉस्पिटलों ने लूट मचा रखी है प्राधिकरण के द्वारा मिली सस्ती दरों पर जमीन पर किसानों एवं गरीबों का शोषण जारी है वही स्वस्थ अधिकारी ने एवं प्राधिकरण में भी नियम को तोड़ रहे प्राइवेट हॉस्पिटलों पर आज तक कोई भी कार्रवाई नहीं की गयी है। एक गांव जो बसता है उसमें हर तबके के निवास से ही गांव का आंचल गांव बनता है इसी तरीके से हाइटेक सिटी नोएडा, ग्रेटर नोएडा, ग्रेटर नोएडा वेस्ट और जेवर शहर में हर तबके की उपस्थिति अनिवार्य है। विद्यालयों और हॉस्पिटलों की लीज लीड पर स्पष्ट लिखा हुआ है अगर जनहित कार्य नहीं किए जाएंगे तो प्राधिकरण को कम दरों पर यह गई भूखंड को निरस्त करने का अधिकार प्राधिकरणों के पास है। वर्तमान जिले के परिदृश्य को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि व्यक्तिगत विद्यालयों एवं अस्पतालों के स्वामीयों की ऊंची पहुंच होने से शासन-प्रशासन आतंकित है जिससे सैकड़ों शिकायतों के बावजूद भी प्राधिकरण एवं जिला प्रशासन आज तक कोई भी उचित कार्रवाई नहीं कर पाया है ! वही बेरोजगारी का आलम भी जनरल चर्म पर है किसान का कार्य कर नहीं सकते क्योंकि प्राधिकरण द्वारा जमीन को अधिग्रहण कर लिया गया है रोजगार के लिए नो लोकल लिखकर कंपनियों में घुसने की इजाजत नहीं है। दादरी विधायक तेजपाल नागर के प्रयास से कुछ प्रतिशत रोजगार लोकल के लिए घोषणा की गई थी लेकिन अभी तक योजना को कोई अमलीजामा नहीं पहनाया गया। उपरोक्त बिंदुओं पर सघन चिंतन करनी होगा अन्यथा आने वाले समय में जिले की स्थिति दयनीय होगी क्योंकि बगैर चिकित्सा, शिक्षा एवं रोजगार के व्यक्ति दिशा भटक कर अपराध क़ अपना साथी बना लेगा। ऐसी स्थिति पैदा ना हो हमें जिले की स्थिति एवं परिस्थितियों पर शासन- प्रशासन , विधायक और सांसदों को जिले की दयनीय परिस्थितियों पर चिंतन एवं मंथन करना होगा।
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