-->

क्या भावी सैनिक देश जला सकता है

मनोज तोमर ब्यूरो चीफ दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स गौतम बुद्ध नगर
धौलाना केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना का देश के कई राज्यों में जोरदार विरोध किया जा रहा है। जिसका तरीका पूरी तरह से देश विरोधी है। जिसकी उम्मीद देश सेना में भर्ती होकर देश की रक्षा हेतु जान तक अर्पण करने का जज़्बा रखने वाले युवाओं से तो बिल्कुल नहीं की जा सकती है। सेना में भर्ती होने के लिए सबसे पहले देशभक्ति का जज़्बा युवक के मन में होना आवश्यक है। उसके बाद शारीरिक व मानसिक पैमाने आते हैं। केंद्र सरकार ने कई तरह की सकारात्मक सोच रखते हुए अग्निपथ योजना के तहत देश की रक्षा हेतु अग्निवीरों की नियुक्ति करने की तैयारी कर ली है। जिसका विरोध गलत तरीके से किया जा रहा है। विरोध का आधार आवेदक की उम्र व सेवा की समय सीमा के साथ ही पेंशन समाप्त करना है। इन्हीं तीन बिंदुओं पर विरोध किया जा रहा है। चलो ये मान भी लिया जाए कि विरोध करने के आधार कहीं ठीक तो तो ऐसे में देश की संपत्ति को नुकसान पहुँचाना किसी भी स्तर पर ठीक नहीं कहा जा सकता है। विरोध जताने के और भी संवैधानिक तरीके हो सकते थे। निश्चित रूप से युवाओं को जल्दबाजी में भड़काया गया है। जिसमें देश विरोधी ताकतों का हाथ होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। हालांकि अग्निपथ योजना कई तरीके से बेहद ठीक लग रही है। जिसमें देश भर के युवाओं को सैन्य प्रशिक्षण देकर राष्ट्र की रक्षा ताकत को बढ़ाया जा सकता है। वहीं युवाओं को एक छोटी सी उम्र में धन एकत्रित करने के साथ ही एक सम्मानित सेवा के आधार पर अन्य नौकरियों में वरीयता भी मिलेगी। साथ ही चार वर्ष की सेवा के दौरान शिक्षा भी ली जा सकती है। वहीं एक चौथाई युवकों को सेवा विस्तार भी दिया जाएगा। फिर सेना की तैयारी कर रहे युवाओं में सफल होने वालों का प्रतिशत एक चौथाई से कम ही होता है। अग्निपथ योजना के माध्यम से आगामी कुछ वर्षों में देश व अग्निवीरों का भविष्य उज्ज्वल नजर आता है। वहीं सेना में भर्ती होने के बाद कुछ प्रतिशत युवाओं का मन वहाँ स्थिर नहीं रह पाता है। इस योजना में उनके लिए भी एक बेहतर विकल्प होगा। अगर सूक्ष्म में कहा जाए तो ये योजना आम के आम गुठलियों के दाम वाली साबित होगी। सेना में रहने का गौरव, उज्ज्वल भविष्य, बेहतर शिक्षा के साथ ही मात्र चौबीस वर्ष के युवा के पास धन होगा। साथ ही वहां से लौटकर अन्य सेवाओं में जाने का अवसर मिलेगा। वहीं अगर आपका मन फिर भी इस योजना को स्वीकार नहीं करता है तो सेना के अधिकारी आपके घर से बुलाने नहीं आ रहे हैं। आप बिल्कुल मुक्त हैं। अग्निपथ को लेकर किया जा रहा बवाल पूरी तरह से अपराध है। साथ ही देश की संपत्ति को नुकसान पहुँचाना तो देश का विरोध है। देश भक्ति का पर्याय सेना में जाने के लिए ऐसे युवा किसी भी तरह से योग्य नहीं रह पाते हैं। इसलिए युवाओं को किसी के उकसाए में आए बिना अग्निवीर बनने की दिशा में अग्रसर होना चाहिए। अंत में बस यही कहना है कि देशभक्ति का यह चार वर्षीय प्रशिक्षण लेने से परहेज नहीं करना चाहिए। जिसके बदले युवाओं को आकर्षक वेतन व अन्य भत्ते भी मिलेंगे। साथ ही एक बात यह भी ध्यान रखो कि यह विरोध अग्निपथ का नहीं बल्कि सरकार का है। ये षड़यंत्र निश्चित रूप से देश विरोधी ताकतों द्वारा रचा गया है। इससे सावधान रहकर देश हित का निर्णय लेना होगा।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ