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अग्निपथ योजना से युवाओं के लिए सशस्त्र बलों में सेवा के बढ़ेंगे अवसर।

नई दिल्ली। बिहार एवं देश में हो रहे विरोध अग्निपथ योजना कितनी नुकसान दायक एवं भरोसेमंद है अग्निपथ योजना का विश्लेषण। रक्षा मंत्रालय ने सेना में भर्ती के लिए जिस अग्निपथ योजना की घोषणा की है उसको लेकर कई तरह की अफवाहें फैलाई जा रही हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने देश की तीनों सेनाओं की औसत उम्र कम करने के लिए यह योजना लाई है।

लेकिन विपक्षी दल और कुछ अन्य लोग इस योजना के खिलाफ युवाओं को उकसा रहे हैं। सूत्रों के हवाले से आई रिपोर्ट के मुताबिक अग्निपथ योजना को लेकर जो अफवाहें फैलाई जा रही हैं उनका सच्चाई से कोई नाता नहीं है। सूत्रों ने स्थिति स्पष्ट करते हुए तमाम सवालों के जवाब भी दिए हैं. ऐसे ही सवालों के जवाब आप यहां देख सकते हैं।

अफवाह- अग्निवीरों का भविष्य असुरक्षित।

सत्य- जो लोग उद्यमी बनना चाहते हैं, उन्हें आर्थिक पैकेज और बैंक लोन योजना का लाभ मिलेगा. जो लोग आगे पढ़ाई के इच्छुक हैं, उन्हें 12वीं कक्षा का प्रमाणपत्र दिया जाएगा और आगे की पढ़ाई के लिए ब्रिज कोर्स की सुविधा मिलेगी. जो लोग नौकरी करना चाहते हैं, उन्हें राज्य पुलिस और सीएपीएफ में वरीयता दी जाएगी. इसके अलावा अन्य क्षेत्रों में भी उनके लिए कई रास्ते खोले जा रहे हैं।

अफवाह– अग्निपथ से युवाओं के लिए अवसर कम होंगे।

सत्य- अग्निपथ से युवाओं के लिए सशस्त्र बलों में सेवा के अवसर बढ़ेंगे और आने वाले सालों में अग्निवीरों की भर्ती सशस्त्र बलों में वर्तमान भर्ती की लगभग तिगुनी हो जाएगी।

मिथक- रेजीमेंट में जो बॉन्डिंग होती है, उस पर असर पड़ेगा।

सत्य- रेजीमेंट सिस्टम में किसी तरह का बदलाव नहीं होगा‌। बल्कि इसे और बल दिया जाएगा साथ ही सर्वश्रेष्ठ अग्निवीरों के चयन से इकाई की एकजुटता और बेहतर होगी।

अफवाह - सशस्त्र बलों की प्रभावशीलता को नुकसान पहुंचेगा.

सत्य- इस तरह की अल्पकालिक भर्ती प्रणाली ज्यादातर देशों में पहले से ही मौजूद है. इसका परीक्षण भी किया जा चुका है. इसे सेना की कुशलता बढ़ाने और युवा रहने के लिए सबसे अच्छी प्रक्रिया माना जाता है. पहले साल में जितने अग्निवीरों की नियुक्ति की जाएगी वह सशस्त्र बलों का महज 3 फीसद है. इसके साथ ही चार साल बाद जब किसी अग्निवीर को सेना में शामिल होना होगा तो पहले उसके प्रदर्शन का परीक्षण किया जाएगा‌। इस तरह सेना सुपरवाइजर रैंक के लिए आजमाए और परीक्षण किए हुए कर्मियों को ही हासिल करेगी।

अफवाह- 21 साल सेना के हिसाब से अपरिपक्व और गैरभरोसेमंद उम्र है।

सत्य- दुनिया की ज्यादातर सेना अपने युवाओं पर ही निर्भर करती है. किसी भी वक्त अनुभवी लोगों से युवाओं की संख्या अधिक नहीं होगी. वर्तमान समय में जो योजना है वह धीरे-धीरे, एक लंबा वक्त लेकर अनुभवी सुपरवाइजर रैंक और युवाओं के महज 50 -50 फीसद के सही अनुपात को लाएगी।

अफवाह - अग्निवीर समाज के लिए खतरा होंगे और आतंकवादी भी बन सकते हैं।

सत्य - यह भारतीय सशस्त्र बलों के चरित्र और मूल्यों का अपमान है. जो युवा चार साल के लिए सेना की वर्दी पहनेंगे फिर वह जीवन भर देश के प्रति प्रतिबद्ध होंगे. यहां तक कि अभी भी हज़ारों सशस्त्र बलों से अपने कौशल के साथ सेवानिवृत्त होते हैं, लेकिन आज तक उनके राष्ट्र विरोधी ताकतों में शामिल होने का उदाहरण नहीं मिला है।

अफवाह -सशस्त्र बलों के पूर्व अधिकारियों से कोई परामर्श नहीं लिया गया।

सत्य- पिछले दो सालों से सेवारत सशस्त्र बल अधिकारियों के साथ व्यापक परामर्श किया गया है। यह प्रस्ताव सैन्य अधिकारियों के विभाग के सैन्य अधिकारियों ने तैयार किया है। ये विभाग इसी सरकार की देन है। कई पूर्व अधिकारियों ने इस योजना के लाभ को समझा और इसका स्वागत किया है।

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