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उद्यमी अब सड़को पर उतरकर जताएंगे अपना विरोध,यूपीसीडा के इंडस्ट्रियल इलाकों में व्याप्त समस्याओं को लेकर इंडस्ट्री संचालकों के द्धारा 27 जून को कार रैली का आयोजन।




शफ़ी मोहम्मद सैफ़ी दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स संवाददाता ग्रेटर नोएडा

नोएडा। जिले का सबसे पुराना औद्योगिक क्षेत्र बदहाल है। जहां पर इंडस्ट्री चला रहे ढाई हजार से अधिक इंडस्ट्री संचालक इस इलाके की समस्याओं के समाधान के लिए पिछले पांच सालों से चक्कर पर चक्कर लगा रहे है लेकिन कहीं पर उनकी सुनवायी नहीं हो रही है। इससे नाराज उद्यमी अब सड़को पर उतरकर अपना विरोध जतायेंगे। इंडस्ट्रियल इंटरप्रिन्योर एसोसिएशन ग्रेटर नोएडा के अध्यक्ष पीके तिवारी ने कहा कि यूपीसीडा के इंडस्ट्रियल इलाकों में व्याप्त समस्याओं को लेकर इंडस्ट्री संचालकों के द्धारा 27 जून को कार रैली का आयोजन किया जाएगा। यह कार रैली साइट बी तिलपता कट से प्रारम्भ होकर पूरे इंडस्ट्रियल इलाके में घूमेगी और उसके बाद परी चौक से होते हुए साइट फाइव में स्थित यूपीसीडा कार्यालय में पहुंच कर समाप्त होगी। जिसमें बड़ी संख्या में इंडस्ट्री संचालक भाग लेंगे। इस कार रैली के आयोजन को लेकर इंडस्ट्री संचालकों ने अपर पुलिस आयुक्त लव कुमार से भी मुलाकात की और उन्हें अपना पत्र सौंपा तथा उन्हें भी औद्योगिक क्षेत्र की समस्याओं से अवगत कराया। 
आईआईए ग्रेटर नोएडा के महासचिव संजीव शर्मा ने कहा कि क्षेत्र का सबसे प्रमुख नाला लोहिया खाद नाला है जो उद्योग केन्द्र से होता हुआ साइट फाइव और हिंडन तक जाता है। इस नाले के लिए पिछले साल सवा तीन करोड़ रूपये का बजट भी स्वीकृत हुआ था। लेकिन नाला अभी तक भी साफ नहीं है, इस नाले के बीच में ही इतने बड़े-बड़े पेड़ खड़े हो गये हैं कि नाला साफ नहीं हो पा रहा और इन पेड़ों को काटने के लिए वन विभाग से परमिशन मांगी गई है, और वहां से सिर्फ दो पेड़ों को काटने की परमिशन मिली है, जबकि नाले में खड़े पेड़ों की संख्या कहीं ज्यादा है। इस मामले को वह कई बार उद्योग बन्धु की बैठक में और अन्य अधिकारियों के सामने भी उठा चुके हैं।लेकिन समाधान नहीं हुआ। अब बारिश फिर से आने वाली है, ऐसे में नाला साफ न होने पर जलभराव की समस्या और गंभीर हो जाएगी।
एसोसिएशन के सेक्रेटरी अमित उपाध्याय व अन्य इंडस्ट्री संचालकों का आरोप है कि यूपीएसआईडीसी के द्धारा तीन साल पहले तक प्रति वर्ष तीन रूपये प्रति मीटर की दर से मेटिनेंस चार्ज लिया जाता था जो अब बढ़कर बीस रूपये प्रति मीटर हो चुका है। लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें कोई सुविधाऐं नहीं मिल रही हैं और यहां पर समस्याएं बढ़ती ही जा रही हैं।

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