नई दिल्ली। वाराणसी के दीनदयाल हस्तकला संकुल (व्यापार केंद्र और संग्रहालय) में पहला क्षेत्रीय खिलौना मेला 27 से 30 मई, 2022 तक भारत सरकार, कपड़ा मंत्रालय के कार्यालय विकास आयुक्त हस्तशिल्प द्वारा हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएच) के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है।ईपीसीएच के महानिदेशक डॉ राकेश कुमार ने सूचित किया कि खिलौना मेले का उद्घाटन मुख्य अतिथि के रूप में वाराणसी की महापौर मृदुला जायसवाल ने किया. इस अवसर पर भारत सरकार के कपड़ा मंत्रालय में विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) शांतमनु और ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक आर.के.वर्मा की गरिमामयी उपस्थिति रही।वाराणसी की महापौर मृदुला जायसवाल ने मेला आयोजन के प्रयासों की सराहना की और वाराणसी में नियमित रूप से इस तरह के और आयोजन करने का सुझाव दिया. हस्तशिल्प विकास आयुक्त शांतमनु ने कहा कि उनके विभाग द्वारा इस तरह की पहल से प्रधान मंत्री के 'हैंडमेड इन इंडिया' को बढ़ावा देने के विचार को साकार करने में मदद मिलेगी. इसके साथ ही 'मेक इन इंडिया' की पहल को भी बल मिलेगा।ईपीसीएच के महानिदेशक डॉ. राकेश कुमार ने अपनी बात को विस्तार देते हुए कहा कि तीन दिवसीय मेले के दौरान 13 राज्यों के लगभग 100 खिलौने प्रदर्शक अपने उत्पादों और शिल्प कौशल का प्रदर्शन कर रहे हैं. तेलंगाना से निर्मल खिलौने, कर्नाटक से चन्नापटना और किन्हल खिलौने, वाराणसी और चिराकूट से लकड़ी के खिलौने, राजस्थान से कठपुतली शिल्प, असम से आशरीकंडी खिलौने, मणिपुर की गुड़िया वाराणसी के खरीदारों के लिए प्रमुख आकर्षणों में हैं।खिलौने बच्चों के संपूर्ण और व्यक्तित्व विकास में हत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. खिलौनों पर आधारित शिक्षा का उपयोग माता-पिता अपने बच्चों को विभिन्न विषय और बातें सीखाने के लिए कर सकते हैं. खिलौने हमारे देश की स्कृतिक विरासत को समझने में मदद करते हैं. साथ ही उनके व्यक्तित्व के मानसिक और भावनात्मक पहलू के विकास को भी बल देते हैं।भारतीय खिलौना उद्योग का अनुमान 1.5 अरब डॉलर है जो वैश्विक बाजार हिस्सेदारी का 0.5% है। भारत में खिलौना निर्माता ज्यादातर एनसीआर, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और मध्य भारतीय राज्यों के समूहों में स्थित हैं। खिलौनों के क्षेत्र का 90% बाजार असंगठित है और 4,000 खिलौना उद्योग इकाइयां एमएसएमई क्षेत्र से हैं। भारत सरकार और हमारे देश के उद्यमी वैश्विक खिलौना कारोबार में भारत की निर्यात हिस्सेदारी बढ़ाने की दिशा में मिलकर काम कर रहे हैं, जिसकी कीमत 7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है, ईपीसीएच के महानिदेशक डॉ. राकेश कुमार ने जानकारी दी।ईपीसीएच दुनिया भर के विभिन्न देशों में भारतीय हस्तशिल्प निर्यात को बढ़ावा देने और प्रतिस्पर्धी कीमतों पर एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में विदेशों में भारत की छवि बनाने के लिए जिम्मेदार एक नोडल संस्थान है
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