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सुप्रीम कोर्ट ने यमुना प्राधिकरण के किसानों को 64.7 प्रतिशत अतिरिक्त मुआवजा देने पर मुहर लगाई, किसानों में खुशी की लहर।



शफ़ी मोहम्मद सैफी दैनिक फ्यूचर लाईन टाईम्स ग्रेटर नोएडा संवादाता



ग्रेटर नोएडा।सुप्रीम कोर्ट ने यमुना प्राधिकरण के किसानों को 64.7 प्रतिशत अतिरिक्त मुआवजा देने पर मुहर लगा दी है। कोर्ट के इस फैसले से सात हजार किसानों को राहत के साथ प्राधिकरण की हजारों करोड़ रुपये की परियोजनाओं की अड़चन दूर हो गई है। 13 हजार आवंटियों को भी भूखंड पर जल्द कब्जा मिलने की उम्मीद भी जगी है।यमुना प्राधिकरण के किसानों ने सपा सरकार में नोएडा, ग्रेटर नोएडा की तर्ज पर 64.7 प्रतिशत अतिरिक्त मुआवजा की मांग की थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कैबिनेट मंत्री राजेंद्र चौधरी की अध्यक्षता में समिति गठित कर इस पर रिपोर्ट मांगी थी। समिति ने सितंबर 2013 में अपनी रिपोर्ट देते हुए किसानों को शर्त के साथ 64.7 प्रतिशत मुआवजा देने की सिफारिश की थी। सरकार ने 2014 में शासनादेश जारी किया और अतिरिक्त मुआवजे की राशि आवंटियों से वसूलने का आदेश दिया। आवंटियों ने हाई कोर्ट में दाखिल की थी याचिका।यमुना प्राधिकरण ने शासनादेश के मद्देनजर आवंटियों को अतिरिक्त मुआवजे की राशि के लिए नोटिस जारी किए थे। इसके खिलाफ कुछ बड़े आवंटियों ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। हाई कोर्ट ने मई 2020 में फैसला देते हुए शासनादेश को रद्द कर दिया। हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार प्राधिकरण को शासनादेश जारी नहीं कर सकती है। शासनादेश निरस्त होने तक प्राधिकरण 20495 किसानों को 1688 करोड़ रुपये अतिरिक्त मुआवजा राशि बांट चुका था। प्राधिकरण व प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी विशेष याचिका।हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ यमुना प्राधिकरण व प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष याचिका दायर की थी। बाद में किसानों ने भी इस मामले में याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए किसानों को 64.7 प्रतिशत अतिरिक्त मुआवजा देने पर मुहर लगा दी।कोर्ट के फैसले से सात हजार किसानों को मुआवजा जल्द मिलने की उम्मीद बढ़ गई है। इन किसानों को करीब साढ़े पांच सौ करोड़ रुपये मुआवजा वितरण होगा। इन किसानों को यमुना एक्सप्रेस वे व जेपी इंफ्रा को दिए गए लैंड फार डेवलपमेंट (एलएफडी) से प्रभावित किसानों की संख्या शामिल नहीं है। 13 हजार आवंटियों को जल्द मिल सकेगा भूखंड
यमुना प्राधिकरण 33144 आवासीय भूखंड आवंटित कर चुका है। इसमें 14 हजार आवंटियों को भूखंड की रजिस्ट्री हो चुकी है। छह हजार आवंटियों की लीजडीड प्रक्रिया में हैं। जमीन पर कब्जा न मिलने के कारण 13 हजार से अधिक आवंटियों को भूखंड पर कब्जे का इंतजार है

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