गौतम बुद्ध नगर सूरजपुर प्राचीन बाराही मेला प्रांगण में एक सरोवर बना हुआ है। माना जाता है कि इस सरोवर में स्नान कर लेने भर से ही चर्म रोग छू मंतर हो जाते है। बाराही मेले के मौके पर यह सरोवर विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। सरोवर की गहराई 10 फीट तक है, इसका निमार्ण मंदिर स्थापित होने समय से ही माना जाता है। शिव मंदिर मेला समिति के प्रयासों से अब सरोवर का सौंदर्यकरण भी कराया जा चुका है। बताया जाता है कि क्षेत्र में 12 कोस की दल दल हुआ करती थी, यहां पानी जमीन से उबाला लिया करता था। किवदंति यह भी बनी हुई है कि कासना से लेकर सूरजपुर तक नौलखा बाग हुआ करता था। इस बाग में घूमने के लिए कासना की राजकुमारी निहालदे आया करती थीं। इस सरोवर में राजकुमारी निहालदे अपनी सखियों के साथ स्नान आदि भी किया करती थी। शिव मंदिर मेला समिति के अध्यक्ष चौधरी धर्मपाल भाटी प्रधान, महामंत्री ओमवीर बैंसला और कोषाध्यक्ष लक्ष्मण सिंघल बताते हैं कि इस क्षेत्र को आल्हा उदल का रण क्षेत्र भी माना जाता है। यहां आल्हा उदल के कई युद्ध हुए और इतना लहू बहा कि यहां से बहते हुए नाले का नाम ही लहुया खार और अब लोहिया खार कहा जाने लगा है। उन्होंने बताया कि सरोवर में स्नान करने से चर्म रोग दूर हो जाते हैं। दाद खाज या खुजली हो जाती है, तो आज भी यह प्रथा प्रचलित है कि कपडे लत्ते आदि सामग्री उठावनी के तौर पर रख लिया करते हैं और जब माता बाराही देवी का यह मेला आता है, उसे सरोवर में आर्पित कर दिया जाता है। दूसरे कसबो में बूढे बाबू के मेले पर उठावनी आदि दी जाती है मगर यहां पर बारही मेले पर ऐसा होता है। सरोवर में स्नान के लिए बच्चे खूब अठखेलियां करते नजर आते हैं।
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