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वेदों के महान विद्वान, महाबलवान, ब्रह्मचारी, तपस्वी श्री हनुमान को बन्दर बना कर उनका अपमान न करें।

फ्यूचर लाइन टाईम्स।
आज हनुमान जयंती है । हनुमानजी के भक्त भारत भर में उसे धूमधाम से मनाएंगे । अधिकांश लोग हनुमानजी को वानर(बंदर) मानते है पर क्या वह वास्तव में वानर (बंदर) थे ? आइये विचार करते है।
हनुमान जी की माता का नाम 'अंजनी' था और पिता जी का नाम 'पवन' था। ये दोनों मनुष्य थे या बन्दर ? यदि ये दोनों मनुष्य थे। तो क्या मनुष्यों के मनुष्य पैदा होते हैं या बन्दर ? यदि बन्दर पैदा नहीं होते, तो विचार करें, कि जब हनुमान जी के माता पिता मनुष्य थे, तो उनका बेटा श्री हनुमान जी भी तो मनुष्य सिद्ध हुआ।
२- यदि कोई छोटा बच्चा कहीं पर भीड़ में खो जाये, तो एक बन्दर से कहो, कि वह उस बच्चे का फोटो देख कर भीड़ में से उस बच्चे को पहचान कर ले आये। अब सोचिये क्या वह बन्दर भीड़ में से बच्चे को पहचान कर ले आयेगा। यदि नहीं। तो क्या हनुमान जी सीता जी को लंका से ढूंढ कर उनकी खबर ले आये या नहीं। यदि उनकी खबर ढूंढ लाये, तो अब बताइये, बन्दर तो यह काम नहीं कर सकता।
आपने रामायण सीरिअल में बाली, सुग्रीव और उनकी पत्नियाँ तो देखी ही होंगी। उस सीरिअल में बाली और सुग्रीव तो बन्दर दिखाए गए। परन्तु उनकी पत्नियाँ मनुष्यों वाली स्त्रियाँ दिखाई गईं या बंदरियां दिखाईं। यदि उनकी पत्नियाँ मनुष्य जाति की थी,  तो उनके पति भी मनुष्य होने चाहियें अर्थात बाली और सुग्रीव भी मनुष्य दिखने चाहिए थे। परन्तु वे दोनों बन्दर दिखाए गए। यदि वे बन्दर थे, तो सोचिये क्या मनुष्यों की स्त्रियों की शादी बंदरों के साथ होती है ? या आजकल भी कोई मनुष्य स्त्रियाँ बंदरों के साथ शादी करने को तैयार हैं ? यदि उनकी पत्नियाँ मनुष्य थीं, तो उनके पति = बाली और सुग्रीव भी मनुष्य ही सिद्ध हुए. और श्री हनुमान जी उनके महामंत्री थे. वे भी उसी जाति के थे। तो श्री हनुमान जी भी मनुष्य सिद्ध हुए।
वाल्मीकि रामायण में श्री हनुमान जी की योग्यता लिखी है, कि वे ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद के विद्वान थे तथा संस्कृत व्याकरण शास्त्र में बहुत कुशल थे। सोचिये, क्या बन्दर ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद तथा संस्कृत व्याकरण पढ़ सकता है ? यदि नहीं, तो बताइये, श्री हनुमान जी बन्दर कैसे हुए ?
हनुमान चालीसा के प्रारंभ में चौथे/पांचवें वाक्य में लिखा है, कि " काँधे मूंज जनेऊ साजे, हाथ बज्र और धजा बिराजे " अर्थात श्री हनुमान जी के कंधे पर मूंज की जनेऊ अर्थात यज्ञोपवीत सुशोभित होता था। उनके एक हाथ में वज्र (गदा) और दूसरे हाथ में ध्वज रहता था. अब सोचिये हनुमान चालीसा बहुत लोग पढ़ते हैं. फिर भी इस बात पर ध्यान नहीं देते, कि क्या बन्दर के कंधे पर मूंज की जनेऊ हो सकती है. क्या बन्दर के एक हाथ में गदा और दूसरे हाथ में ध्वज होता है ? यदि नहीं, तो श्री हनुमान जी बन्दर कैसे हुए ?
मेरा सभी महानुभावों से विनम्र अनुरोध है, कृपया गुस्सा न करें और ठंडे दिल - दिमाग से सोचें, कि वेदों के महान विद्वान, महाबलवान, ब्रह्मचारी, तपस्वी श्री हनुमान जी को बन्दर बना कर उनका अपमान न करें, और पाप के भागी न बनें. बल्कि उनको एक महापुरुष 'मनुष्य' मानते हुए, अपना आदर्श बना कर उनके जीवन से उत्तम गुणों को धारण करें और अपना जीवन सफल बनायें। श्री हनुमान जी की तरह ही वेदों का अध्ययन करें, व्यायाम करके अपने शरीर को बलवान बनायें। इन्द्रियों पर संयम रखते हुए ब्रह्मचर्य का पालन करें और ईश्वर की भक्ति करें। तभी कल्याण होगा, अन्यथा नही l

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