गौतम बुद्ध नगर दादरी कुमारी मायावती राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय बादलपुर में स्वामी विवेकानंद की 159 जयंती को मनाने के लिए और उनके आदर्शों एवं शिक्षाओं को आज के युवा वर्ग तक पहुंचाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया । इस अवसर पर महाविद्यालय के स्वामी विवेकानंद अध्ययन केंद्र के निदेशक डॉ किशोर कुमार द्वारा सर्वप्रथम स्वामी विवेकानंद को नमन करते हुए कार्यक्रम की अध्यक्ष डॉ दिव्या नाथ मुख्य अतिथि बृज कुमार गुहारे, कार्यक्रम निदेशक भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद नई दिल्ली , मुख्य वक्ता डॉ अनिल कुमार सिंह, असिस्टेंट प्रोफेसर ग्रीक लैंग्वेज जेएनयू, नई दिल्ली समस्त प्राध्यापक गण, प्रतिभागी एवं छात्राओं का स्वागत किया गया। तत्पश्चात कार्यक्रम संयोजक डॉ किशोर कुमार ने स्वामी विवेकानंद के कालजयी व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए उनके महान आदर्शों को छात्राओं के सम्मुख प्रकट किया उन्होंने कहा स्वामी विवेकानंद का भारत के नव जागरण में अभूतपूर्व योगदान है। हम भारतीयों को उनके आदर्शों एवं शिक्षाओं से प्रेरित होकर पुनः अपने अंदर सिंह का साहस जगाने की आवश्यकता है । जिससे समाज, राष्ट्र और प्रकृति में व्याप्त असंतुलन को संतुलित एवं सहज किया जा सके । अपने अध्यक्षीय संबोधन में डॉ दिव्या नाथ ने वर्तमान प्राकृतिक प्रकोप का कारण स्वामी विवेकानंद के विस्मृत मूल्यों को बताया। उन्होंने कहा कि अगर हम स्वामी विवेकानंद के विचारों को आत्मसात कर, अपने से पहले समाज राष्ट्र और प्रकृति के बारे में चिंतनशील होते तो आज इस प्रकार के किसी वायरस के विध्वंसकारी प्रहार का शिकार ना होते । हमें विवेकानंद जी के विचारों के अनुरूप अपनी अंतरात्मा को जगाना है, विवेक शक्ति को जागृत करना है , तभी सृष्टि में समरसता उत्पन्न हो सकती है।मुख्य वक्ता डॉ अनिल कुमार ने कहा की हमें स्वयं अपना शिक्षक बनना है । कोई भी व्यक्ति हमें तब तक आध्यात्मिक एवं ज्ञानी नहीं बना सकता , जब तक हम स्वयं न बनना चाहे इसलिए आज के युवा वर्ग से अनुरोध है कि अपने प्रश्नों एवं जिज्ञासाओं का समाधान वह स्वयं में खोजें । खुद से बढ़कर ज्ञान प्राप्त करने का और कोई साधन नहीं है । हमें अपना आंतरिक ज्ञान जागृत करना होगा और आज के समय में यह अत्यधिक महत्वपूर्ण है।कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि बृज कुमार गुहारे ने विवेकानंद के विचारों के अनुरूप छात्र छात्राओं से आह्वान किया कि भारतीय सांस्कृतिक मूल्य, आध्यात्मिकता एवं वैज्ञानिक सोच यह तीनों हमारी संस्कृति का हमारे अस्तित्व का आधार है । हमें पाश्चात्य जीवन शैली से प्रभावित ना होकर अपनी जड़ों को मजबूत करने की आवश्यकता है। सर्व कल्याण, सर्व समभाव, समरसता के भावों को आत्मसात करने से ही भारत में पुनः नवजागरण होगा। स्वामी विवेकानंद के दर्शन को अपनाने से भारतीय पुनरुद्धार संभव है। स्वामी विवेकानंद एक दिन याद किए जाने वाले व्यक्तित्व नहीं है। उन्हें प्रतिदिन, प्रतिपल अपने अंदर जीना होगा यही कल्याण का मार्ग है।कार्यक्रम के अंत में डॉ किशोर कुमार द्वारा सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया गया कार्यक्रम में विभिन्न प्रदेशों के प्रतिभागी, प्राध्यापकगण एवं छात्राएं उपस्थित थी । कार्यक्रम का संचालन एवं संयोजन डॉ किशोर कुमार द्वारा किया गया ।
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