दिल्ली। दिनांक 7 दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक सिंधु बॉर्डर पर हुई जिसमें पिछले 1 साल से 6 सूत्रीय मांगों को लेकर चल रहे आंदोलन मैं आज भारत सरकार की तरफ से संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं को सरकार की तरफ से किसानों की मांगो के संबंध में सहमति पत्र संयुक्त किसान मोर्चा को भेजा है इसमें मुख्य रूप से किसानों की मुख्य मांग तीन कृषि कानूनों को वापिस किया जा चुका है आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज हुए मुकदमे को गृह मंत्रालय ने सभी प्रदेश सरकारों को मुकदमों को खत्म करने के निर्देश दिए हैं पराली कानून को आपराधिक श्रेणी से बाहर कर दिया है किसानो पर पराली को लेकर कोई मुकदमा नहीं होगा बिजली पर बने कानून को भी संशोधित किया जाएगा लंबे समय से एमएसपी पर कानून की मांग पर भी सरकार ने सकारात्मक रुख तैयार किया है इस संबंध में संयुक्त किसान मोर्चा कि 40 सदस्यीय कमेटी के मुख्य सदस्य एवं भारतीय किसान यूनियन (अ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी ऋषि पाल अंबावता ने कहा की 6 मांगों में पांच मांगों पर लगभग सहमति बन चुकी है एक जो मांग शेष है जिस में शहीद हुए किसानों को उचित मुआवजा एवं परिवार के सदस्यों को नौकरी की मांग को लेकर भारत सरकार से बातचीत लगातार चल रही है लंबे समय से आंदोलन कर रहे किसानों की एकता के आगे ही सरकार ने किसानों की सभी मांगों पर गंभीरता से विचार किया है और लगभग सहमति बन चुकी है अगर सरकार अपनी तरफ से दिए हुए सहमति पत्र से या अपने वादे को पूरा नहीं करती है तो देश के किसान भी यही हैं किसानों के ट्रैक्टर भी यही है किसानों को भी बड़ा दिल दिखाते हुए आंदोलन को समाप्ति की ओर ले जाना चाहिए अगर सरकार वादाखिलाफी करती हैं तो फरवरी में किसान फिर से बड़ा आंदोलन करने पर बाध्य होंगे!
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