ग्रेटर नोएडा। हम सब जानते ही हैं कि भारत एक महाद्विपीय विशेषताओं वाला देश है । यूरोप के 50 देश एवं लेटिन अमरीका के 26 देशों यानी कि दुनिया के 76 देशों के बराबर की जनसंख्या के बराबर भारत की जनसंख्या है ।
यद्यपि भारत के पास विश्व भूमि का मात्र 2.4 प्रतिशत हिस्सा ही है फिर भी भारत के पास विश्व की सर्वाधिक (18 करोड़ हेक्टेयर) कृषि योग्य भूमि है । विविध जलवायु क्षेत्र समृद्ध वनस्पति एवं गुणवत्ता पूर्ण बीज भारत में हैं । दुनिया के 20 प्रतिशत युवा भारत में हैं । इनका ठीक से संयोजन हो जाए तो भारत विश्व की दो तिहाई जनसंख्या को अच्छे खाद्य पदार्थ उपलब्ध करवा सकता है । दुनिया स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थों की खोज में है ।देशों की अपनी घरेलू खपत के अलावा विश्व में कृषि उत्पादों का निर्यात बिल 140 लाख करोड़ ₹ का है, भारत की हिस्सेदारी इसमें 3 लाख करोड़ ₹ की है । अतः इस क्षेत्र में असीम सम्भावनाएँ हैं ।
विश्व के सर्वाधिक (6.25 करोड़) लघु मध्यम उद्यम भारत में हैं । इसके बावजूद विश्व मन्यूफेक्चरिंग में भारत का हिस्सा 3 प्रतिशत है । इस क्षेत्र में भी भारी सम्भावनाएँ हैं ।
विश्व में प्लेटफ़ॉर्म आधारित 7 ट्रिल्यन डॉलर की अर्थव्यवस्था, नव प्रोदयोगिकी एवं ज्ञान आधारित 7 ट्रिल्यन डॉलर की अमरीकी IPR अर्थव्यवस्था एवं अन्य देशों में भारत के युवा विदेशों में भारी योगदान कर रहे हैं । इन क्षेत्रों में भी भारत में अभी विशाल सम्भावनाएँ हैं ।
जहां पहले से ही विश्व अर्थव्यवस्था संकुचित हो रही थी एवं अनेक देश रिवर्स ग्लोबलाईजेशन की तरफ़ बढ़ने लगे थे वहीं दूसरी तरफ़ कोरोना एवं तेज़ी से बदलते वैश्विक आर्थिक घटनाक्रम एवं भू राजनैतिक परिस्थितियों नें भी विश्व अर्थव्यवस्था को भारी आघात पहुँचाया है । देशों के सामने नई चुनौतियाँ खड़ी करी हैं ।
यह सच है की “रोज़गार युक्त युवा” किसी भी देश की ताक़त होता है लेकिन यह भी सच है कि “रोज़गार मुक्त युवा” देश की आफ़त भी होता है । अतः आज देश की माँग है कि युवाओं के कौशल का देश में योगदान करवाने वाले रोज़गार केंद्रित विकास मॉडल पर गम्भीरता से चर्चा करी जाए । इस विकास मॉडल में अर्थिक प्रगति तो हो ही लेकिन वह पर्यावरण की क़ीमत पर भी न हो, साथ ही उसका लाभ जन जन तक पहुँचे । स्वदेशी जागरण मंच का मानना है कि यह सम्भव है । इन मुद्दों पर स्वदेशी शोध संस्थान एवं एसोसिएशन आफ़ इंडियन यूनीवर्सिटीज़ (900 विश्वविद्यालयों के संगठन नें एक व्यापक चर्चा अर्थ चिंतन 2021 का आयोजन दिनांक 23,24,25 सितम्बर 2021 को किया है ।
केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी एवं भूपेन्द्र यादव, नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉक्टर राजीव कुमार, ज़ोहो कोरपोरेशन के अध्यक्ष श्रीधर वेम्बू, मनिपाल एजूकेशन समूह के अध्यक्ष मोहन दास पई, अमूल के प्रबन्ध निदेशक आर.एस.सोढ़ी, पतंजलि से आचार्य बालकृष्ण सहित अनेक विद्वान इस चर्चा में भाग लेंगे । इसके अलावा कृषि, सहित विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ भी सम्मिलित होंगे । यह चर्चा 2030 को लक्ष्य बनाकर निम्नलिखित तीन बिंदुओं पर होगी :-
1. बी.पी.एल. मुक्त भारत
2. हर हाथ को काम
3. पर्यावरण को बनाए रखते हुए एवं विकास का लाभ सर्वसमावेशी हो इस प्रकार की 10 ट्रिल्यन डॉलर की भारतीय अर्थव्यवस्था का निर्माण ।
राष्ट्रीय स्तर की इस चर्चा में अंतरष्ट्रिय भागीदारी भी रहेगी । इसके बाद इसको महानगरों, प्रांत राजधानियों, ज़िलों एवं गाँवों तक व्यापक बहस तक ले ज़ाया जाएगा ।
इस संबंध में दिनांक 22 सितंबर 2021 को स्वदेशी जागरण मंच, गौतम बुध नगर द्वारा पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया। जिसमें डॉक्टर विवेक मिश्रा (राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य), डॉक्टर अमित अवस्थी (सह जिला संयोजक), श्रीमान देवी सिंह (नगर संयोजक) , दुष्यंत, विजय वीर, रमेश चंद शर्मा, विपिन त्यागी , ब्रह्म प्रकाश , अनिल तायल, विनय राणा व अन्य कार्यकर्ता गण उपस्थित रहे।
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