गाजियाबाद :- गाजियाबाद के कौशाम्बी में स्थित शिवालिक टावर में जल निगम के इंजीनियर रूप सिंह यादव के घर छापेमारी आपको बताते चलें की CBI की यह छापेमारी उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों के अलावा राजस्थान और पश्चिम बंगाल में भी की गई। सूत्रों के मुताबिक सीबीआई की छापेमारी में बेशकीमती जेवरात सहित अरबों रुपए की बेनामी संपत्तियों के कागजात जब्त किए गये हैं।
गाजियाबाद उत्तर प्रदेश के चर्चित Gomti River Front Scam की जांच अब गाजियाबाद तक पहुंच गई है। जांच के सिलसिले में सीबीआई की टीम ने सोमवार को उप्र जल निगम के अधिशासी अभियंता रूप सिंह यादव के कौशाम्बी आवास पर CBI की रेड पड़ी वही शिवालिक टावर में अधिशासी अभियंता के आवास पर गहन जांच-पड़ताल की गई। इस बीच टावर परिसर की नाकेबंदी कर दी गई। लोकल पुलिस को भी इस कार्रवाई की भनक तक नहीं लग पाई। सूत्रों का कहना है कि गाजियाबाद के अलावा लखनऊ, आगरा तथा नोएडा में भी अधिशासी अभियंता के करीबियों पर CBI RAID डाली गई है।
उप्र जल निगम के अधिशासी अभियंता रूप सिंह यादव का कौशाम्बी के शिवालिक टावर में फ्लैट है। जहां सीबीआई की एंटी करप्शन विंग की टीम सोमवार की सुबह करीब 8 बजे पहुंची। सूत्रों का कहना है कि CBI RAID के दौरान टीम ने मौके से बेशकीमती जेवरात तथा करोड़ों रुपए की बेनामी संपत्तियों के कागजात जब्त किए हैं। जांच प्रक्रिया में कोई अड़चन न आए, इसके चलते पूरे टावर की नाकेबंदी कर दी गई थी। टावर को अस्थाई रूप से सील कर नागरिकों के आवागमन पर भी रोक लगा दी गई। आरोप है कि इंजीनियर अभियंता रूप सिंह यादव ने पद पर रहते समय अनैतिक कार्यों के जरिए अकूत संपत्तियां अर्जित की। बता दें कि सीबीआई लखनऊ की एंटी करप्शन विंग ने रिवर फ्रंट घोटाले में दर्जनभर आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी। इस प्रकरण में लखनऊ के अलावा नोएडा, गाजियाबाद, बुलंदशहर, रायबरेली, सीतापुर, इटावा और आगरा में छापेमारी की गई।
सपा सरकार में हुआ घोटाला
उत्तर प्रदेश में सपा सरकार के कार्यकाल में Gomti River Front Scam को अंजाम दिया गया था। सपा सरकार द्वारा गोमती नदी के किनारे रिवर फ्रंट बनवाया गया था। 2017 में भाजपा सरकार आने पर इस मामले की जांच होने पर भ्रष्टाचार से पर्दा उठा था। सपा सरकार के दौरान भी इसको लेकर बीजेपी ऊंगलियां उठती रही। लेकिन सरकार ने गोमती रिवर फ्रंट को सपा सरकार की उपलब्धि बताकर इसका बचाव किया था वही मिली जानकारी के अनुसार यह घोटाला लगभग 1800 करोड़ रुपये का है जिसक जांच सीबीआई कर रही है। जबकि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) मनी लांड्रिंग की जांच कर रहा है। उप्र सरकार मे 4 साल पहले इस घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की संस्तुति की थी। इससे पहले अप्रैल-2017 में योगी सरकार ने रिवर फ्रंट घोटाले की न्यायिक जांच के आदेश दिए थे। अधिशासी अभियंता रूप सिंह की इस मामले में कुछ दिन पहले गिरफ्तारी हुई थी वही मिली जानकारी के अनुसार सिंचाई विभाग ने जारी किये थे 800 टेंडर गोमती रिवर फ्रंट घोटाला कितना बड़ा है और इसमें किस तरह की लूट खसोट हुई इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि परियोजना के तहत अकेले सिंचाई विभाग ने 800 से ज्यादा टेंडर जारी किए थे। इनमें नियमों को दरकिनार कर ठेकेदारों को काम दिया गया था। जांच में लखनऊ खंड शारदा नहर के अधिशासी अभियंता रूप सिंह के खिलाफ सीबीआई को पुख्ता साक्ष्य मिले थे।
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