महाराष्ट्र। अब्दुल हमीद सेना का वो शेर, जिसने उड़ा दिए थे पाकिस्तान के 8 टैंक
वसई राष्ट्रीय अमंन मंच व मुस्लिम इदरीसी महासभा द्वारा एक कार्यक्रम रखा गया जिसमें राष्ट्रीय मंच के प्रदेश सचिव अब्दुल लतीफ शेख व मुस्लिम इदरीसी महासभा महाराष्ट्र मीडिया प्रमुख मसूद हक्कानी इदरीसी व राष्ट्रीय अमंन मंच जिला अध्यक्ष मानव अधिकार सेल नज़ीर मुलाणी व कार्याध्यक्ष फिरोज खान व इब्राहिम पटेल पूर्व जिलाध्यक्ष व सलीम बाबा तालुका अध्यक्ष व आदि उपस्थित रहे मुस्लिम इदरीसी महासभा के महाराष्ट्र मीडिया प्रमुख मसूद हक्कानी इदरीसी ने बताया की
आज कंपनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद का जन्मदिन है. हमीद भारतीय सेना के वो वीर हैं, जो वीरता और साहस का परिचय देते हुए 1965 के भारत-पाक युद्ध में कई पाकिस्तानी पेटन टैंकों को ध्वस्त कर दिया था.हमीद को 1965 की भारत-पाकिस्तान लड़ाई में खेमकरन सेक्टर में टैंक नष्ट करने के लिए परमवीर चक्र मिला था. बता दें कि ये टैंक पाकिस्तानी सेना के लिए काफी अहम थे और अमेरिका से खरीदे किए गए थे.अब्दुल हमीद पूर्वी उत्तर प्रदेश के बहुत ही साधारण परिवार से आते थे लेकिन उन्होंने अपनी वीरता की असाधारण मिसाल कायम करते हुए देश को गौरवान्वित किया था. कहा जाता है कि जब 1965 के युद्ध शुरू होने के आसार बन रहे थे तो वो अपने घर गए थे, लेकिन उन्हें छुट्टी के बीच से वापस ड्यूटी पर आने का आदेश मिला. उस दौरान उनकी पत्नी ने उन्हें खूब रोका, लेकिन वे रुके नहीं. रोकने की कोशिश के बाद हमीद ने मुस्कराते हुए कहा था- देश के लिए उन्हें जाना ही होगा.
सितंबर 1965, सुबह 9 बजे वे चीमा गांव के बाहरी इलाके में गन्ने के खेतों के बीच बैठे थे. उस दौरान उन्हें दूर आते टैंकों की आवाज सुनाई दी. थोड़ी देर में उन्हें वो टैंक दिखाई भी देने लगे. उन्होंने टैंकों के अपनी रिकॉयलेस गन की रेंज में आने का इंतजार किया, गन्ने की फसल का कवर लिया और जैसे ही टैंक उनकी आरसीएल की रेंज में आए, फायर कर दिया.
कहा जाता है कि उस दौरान उन्होंने 4 टैंक उड़ा दिए थे. उसके बाद भी उन्होंने कई टैंक उड़ाए थे. हालांकि जब वो एक और टैंक को अपना निशाना बना रहे थे, तभी एक पाकिस्तानी टैंक की नजर में आ गए. दोनों ने एक-दूसरे पर एक साथ फायर किया. वो टैंक भी नष्ट हुआ और अब्दुल हमीद की जीप के भी परखच्चे उड़ गए. इस लड़ाई में पाकिस्तान की ओर से 300 पैटन और चेफीज टैंकों ने भाग लिया था जबकि भारत की और से 140 सेंचुरियन और शर्मन टैंक मैदान में थे.1965 की जंग में क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद को साहस का प्रदर्शन करते हुए वीरगति प्राप्त हुई थी. इसके लिए उन्हें मरणोपरान्त भारत का सर्वोच्च सेना पुरस्कार परमवीर चक्र प्रदान किया था।शहिद वीर अब्दुल हमीद के इस जन्म दिवस अवसर पर मैं सरकार से अपील करता हूं कि ऐसे वीर शहीद परमवीर चक्र विजेता के नाम से विश्व विद्यालय खोला जाय और सरकारी योजनाओं का नाम भी अब्दुल हमीद साहब के नाम से हो और गाजीपुर उनके गांव उनकी पत्नी मरहूम रसूलन बीवी की कबर स्थल का सुंदरीकरण किया जाए।शहीद अब्दुल हमीद जिस समाज से ताल्लुक रखते हैं इदरीसी समाज के लिए सरकार उनकी सिलाई के करोबार के लिए कोई ऐसी व्यवस्था करे जिससे इदरीसी समाज का पिछड़ा पन दूर हो सके इदरीसी समाज के छात्रों के लिए विशेष स्कालरशिप हो जो शहीद अब्दुल हमीद के नाम से हो
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