नोएडा । All india judges association के पिछले 30 साल में तीसरा केस सुप्रीम कोर्ट मे पेंडिंग है और लगातार जारी है एक के बाद दूसरा।पहले दो केस में वो जबरदस्त फेवर सुप्रीम कोर्ट से येन केन प्रकारेण हासिल कर चुके हैं और ऐसी सूचनाएं मिली है कि UP HJS की 100 सीटों से ललचाये वे,अभी फिर से जस्टिस अरुण मिश्रा की फुल बेंच के न्यायसंगत शानदार जजमेंट को बदलवाने की कोशिश में हैं और महज कुछ सौ सिविल जजों हेतु 75% HJS कोटा बावजूद,लाखों वकीलों के सिर्फ 25% HJS कोटा में फिर से अवैध सेंध लगाने की गलत कोशिश कर रहे हैं। मुझे समझ नहीं आता कि बार की गरिमा सम्मान और हक के लिए हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट बार सहित बार कॉउंसिल्स इस मामले में पूर्णतः निष्क्रिय क्यों है,रही हैं! जबकि जजों से ज्यादा कानूनी दिग्गज बार में हैं और रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट भी कई बार फैसलों में कह चुका है कि बार,बेंच की माँ है और हम उससे बहुत कानूनी ज्ञान सीखते हैं, फिर ये विरोधाभास क्यों और कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग कर वकीलों का हक जबरन क्यों छीना जा रहा है। यदि आपके सम्पर्क जिम्मेदार बार एसोसिएशन या कॉउंसिल्स मेम्बर,अध्यक्ष सचिव से हों तो उनके सामने ये बातें गंभीरता से जरूर रखिये।
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