ग्रेटर नोएडा। समाज के बंधुओं हम सूर्यवंशी आर्य पूर्वजों की संतान है जिन्हें रघुवंशी के नाम से भी जाना जाता है उस काल में सूर्यवंशी और चंद्रवंशी शब्द क्षत्रियों के लिए गर्व का विषय था सूर्यवंशी क्षत्रियों में एक अंतराल के बाद रघुवंशी शब्द बहुत महत्वपूर्ण हो चुका था परंतु क्षत्रियों में सर्वश्रेष्ठ योद्धा सूर्यवंशी और रघुवंशी क्षत्रियों की पताका फहराने वाले महान सम्राट दशरथ का जब शासनकाल आया तो सूर्यवंशी और चंद्रवंशी क्षत्रियों में सर्वश्रेष्ठ योद्धा महाराजा दशरथ को माना गया क्योंकि उस समय पर शब्दभेदी निशाना लगाने में समस्त क्षत्रियों में वे सर्वश्रेष्ठ थे उनको सभी क्षत्रियों ने गुरु तर की उपाधि दी तथा गुर्जर शब्द का अर्थ शत्रु विनाशक भी माना जाता हैफिर यह शब्द समय और काल के अनुसार अति महत्वपूर्ण होते तो चले गया और हर शासक अपने नाम के आगे गुर्जेश्वर गुर्जर अधीर राज गुर्जर अधिपति जैसी उपाधि लिखने में शान शौकत समझते थे ये उपाधियां सन 1390 तक बहुत महत्वपूर्ण थीकुषाण काल हूण काल परंतु 5वी सदी के बाद यही गुर्जर शब्द क्षत्रियों में बहुत प्रभावशाली हो गया सूर्यवंशी वर्ग के सभी क्षत्रिय जिनमें चालुक्य चौहान चेची वंश पवार परमार वंश सोलंकी वंश गहलोत वंश चंदेल वंश तोमर वंश आदि सभी क्षत्रिय गुर्जर शब्द लगाकर अपना बड़प्पन समझते थे किसी भी क्षत्रिय का गुर्जर होना उस काल में सूर्यवीर योद्धा होना शान और शौकत क शब्द माना जाता था यह गुर्जर शब्द के वंश के शासक जहां-जहां अपना राज्य करते थे वाह-वाह का क्षेत्र गुर्जरों से रक्षित गुजराता अथवा गुजरात्रा कह लाता था यह सिलसिला सन 1398 तक लगातार चलता रहा और फिर यह गुर्जर जाति में परिवर्तित हो गया जो आज तक महाराष्ट्र गुजरात मध्य प्रदेश राजस्थान उत्तर प्रदेश उत्तरांचल दिल्ली हरियाणा हिमाचल प्रदेश जम्मू कश्मीर पंजाब आज का पाकिस्तान तथा अफगानिस्तान तक विस्तृत रूप ले चुका था समय और काल के अनुसार यह गुर्जर शब्द मुस्लिम हिंदू सिक्ख एवं जैन धर्म में जाति के रूप में पहचाना जाता है परंतु मुस्लिम काल आते आते कुछ लोगों ने अपने आप को राजपूत कहना उचित समझा जिसका समर्थन और प्रचार मुस्लिम शासकों ने किया परंतु तब तक गुर्जर शब्द के साथ जीने वाले क्षत्रियों ने गुर्जर शब्द लगाना ही उचित समझा और वह लोग गुर्जर शब्द को लगाकर विदेशी आक्रमणकारियों से युद्ध करते रहे परंतु हमारे बीच में से निकले हुए नए शब्द को धारण किए हुए राजपूत लोगों ने हमारे गुर्जर शब्द लिखने वालों को उस काल में विद्रोही होने के कारण बहुत बदनाम कर दिया जिसके कारण बहुत सारे छत्रिय गुर्जर शब्द का प्रयोग ना करके राजपूत शब्द लगाने में अपना बड़प्पन महसूस करते थे और सन 1390 से आज तक क्षत्रियों में राजपूत शब्द ज्यादा प्रभावशाली हो गया और गुर्जर शब्द पीछे छूट गया सन1398 के बाद गुर्जर शब्द का प्रयोग करने वाले महान योद्धा गुर्जर जाति लोग इस विद्रोही काल में बदनाम करने के लिए बहुत सारे शब्दों से बदनाम किए गए चोर डकैत गुंडे लुटेरे देशद्रोही और अंत में अंग्रेजों द्वारा अपराधी जाति के वर्ग में रख दिया जिसके कारण अंग्रेजी काल में सरकारी नौकरियों से वंचित कर दिया गया शिक्षा दूर-दूर तक नहीं रह पाए और विद्रोह करते-करते नदियों और पहाड़ों में छिपने के लिए मजबूर होना पड़ा उसी काल में शासक वर्गों के साथ जो जातियां अंग्रेजों के साथ दे रहे थे उन्होंने हमारे गुर्जर इतिहास को दबाने और छिपाने तथा अपने नाम दिखाने का प्रयास किया लेकिन उस विद्रोही काल में हमारे पूर्वजों को अपने अस्तित्व ही बचाने में एड़ी चोटी का जोर लगाने पड़े इतिहास और शिक्षा के बारे में उनके पास समय ही कहा था परंतु देश की आजादी के बाद जो हमारे पूर्वजों ने अपने कष्ट से दोबारा गांव बस आए बड़ी-बड़ी खेती यों के मालिक बनकर के अपने गुर्जर समाज को स्थापित किया 17 शो के बाद कई राज्य स्थापित किए किले महल भी बनाएंपरंतु वर्तमान समय में गुर्जर हीशब्दलगाने वाले क्षत्रिय उठ खड़े हुए और उन्होंने गुर्जर क्षत्रिय शब्द को पुनः स्थापित करने के लिए अपनी आवाज उठाने के लिएआगेआ गए इसलिए ऐतिहासिक रूप से गुर्जर शब्द बहुत महत्वपूर्ण है यही गुर्जर शब्द इतिहास के पन्नों में शुद्ध क्षत्रियों का तथा राष्ट्रभक्त क्षत्रियों का इतिहास के पन्नों में जीवित है इसी के कारण गुर्जर जाति से पहचान रखने वाले लोग अपना इतिहास उजागर करने के लिए तथा स्थापित करने के लिए आगे आ चुके हैं इतिहास के पन्नों में खोए खोए हुए इतिहास को स्थापित करने में अग्रसर हैं इसलिए यह गुर्जर शब्द बहुत महत्वपूर्ण है तो सभी भाई धीरे धीरे अपने गोत्र नाम को हटाए और गुर्जर शब्द लिखें और अपने गौरव साली इतिहास को स्थापित करें यही गुर्जर शब्द पूरे देश में दोबारा प्रभावशाली बनकर स्थापित होगा।
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