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यूपी सरकार की पहल शारदा अस्पताल की ओर से दो दिवसीय सेमिनार का हुआ आयोजन।

फ्यूचर लाइन टाईम्स, शफ़ी मोहम्मद शैफ़ी संवाददाता ग्रेटर नोएडा। 
कोविड महामारी में रोगियों के उपचार, उनकी देखभाल और चिकित्सीय परीक्षण को लेकर यूपी सरकार की पहल शारदा अस्पताल की ओर से दो दिवसीय सेमिनार का हुआ आयोजन।
ग्रेटर नोएडा।कोविड महामारी में रोगियों के उपचार, उनकी देखभाल और चिकित्सीय परीक्षण को लेकर यूपी सरकार की पहल शारदा अस्पताल की ओर से दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। इसकी थीम चिकित्सा में नैतिकता है। इस अवसर पर डीएम सुहास एल वाई ने अपने अनुभवों के आधार पर टिप्स दिए और शारदा अस्पताल के कार्य की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यह मेडिकल काॅलेज जिले की मजबूती है। 
चिकित्सा में नैतिकता नामक विषय पर डीएम सुहास एल वाई ने कहा कि डॉक्‍टर्स का आपसी सामंजस्य, उनकी संवेदनशीलता, जवाबदेही, रोगी को उचित परामर्श और उनकी देख.भाल का चिकित्सा के क्षेत्र में विशेष महत्व है। रोगी के साथ डॉक्टर्स का सही व्यवहार और उपचार ही चिकित्सकीय नैतिकता है। उन्होंने कहा कि चिकित्सा के पेशे में कम्युनिकेशन का बहुत बडा महत्व है। चिकित्सक को हर पल रोगी के स्वास्थ्य को लेकर न केवल फिक्रमंद होना चाहिए बल्कि जरूरत पड़े तो अपने सहयोगियों से विचार विमर्श भी करना चाहिए। आपसी कम्युनिकेशन में ही मरीज की भलाई और डाॅक्टर्स की योग्यता दिखती है।
इस मौके पर शारदा अस्पताल के चांसलर पी के गुप्ता ने कहा कि चिकित्सक को मरीज और उसके परिचारक को हर बात स्पष्ट रूप से बतानी चाहिए। इससे चिकित्सक और मरीज के बीच न केवल सामंजस्य बढ़ता है बल्कि इससे भविष्य में किसी भी प्रकार की समस्या भी पैदा नहीं होती। उन्होंने मरीजों की संतुष्टि को लेकर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि नैतिकता की शुरूआत सही और गलत में फर्क के साथ ही शुरू हो जाता है। उन्होंने जूनियर डाॅक्टर्स, नर्सेस और पैरामेडिकल कर्मचारियों का आह्वान किया कि वे अपने शालीन व्यवहार और वाणी से न केवल मरीज का दिल जीत सकते हैं बल्कि समाज के सामने सेवाभाव का उदाहरण भी पेश कर सकते हैं।अस्पताल के वाइस चेयरमैन वाई के गुप्ता ने कहा कि चिकित्सक के लिए मरीज ही सर्वोपरि होता है लिहाजा हमें उसकी भलाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए। इस मौके पर एमएस डाॅ आशुतोष निरंजन और मेडिकल काॅलेज की डीन डाॅ मनीषा जिंदल ने मेडिकल के छात्रों और डाॅक्टरों को विशेष टिप्स दिए; उन्होंने एकमत से चिकित्सक व रोगी के मधुर सम्बन्धों को स्वीकार करते हुए यह माना कि रोगी की संतुष्टि ही सही मायने में चिकित्सकीय नैतिकता ;मेडिकल एथिक्स है। सेमिनार के दूसरे सत्र में डिप्टी एमएस और बाल रोग विशेषज्ञ डाॅ रंजीत गुलियानी ने कोविड के संभावित तीसरे चरण में बच्चों के प्रभावित होने की आंशका को लेकर डाॅक्टर्स को नैतिकता संबंधी पाठ पढाया। बच्चों की मानसिकता और उनके पैरंटृस की चिंता से सभी को रूबरू कराया। वरिष्ठ कार्डियोलाॅजिस्ट डाॅ शुभेंदु मोहंती ने कहा कि पोस्ट कोविड में भी मरीजों की देखभाल बडी चुनौती होती है। वह पहले से ही परेशान रहते हैं, ऐसे में हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम उन्हें ठीक से सुनें और उनकी तकलीफों को दूर करने का प्रयास करें।

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