ग्रेटर नोएडा बिलासपुर। सोमवार को पर्यावरण संरक्षण समिति के नेतृत्व व पत्रकारों की उपस्थिति में विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पीपल का पौधा लगाकर कोरोना महामारी से मुक्ति पाने की कामना करते हुए मनाया गया । यूनेस्को महासम्मेलन की अनुशंसा के बाद दिसंबर 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 3 मई को प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाने की घोषणा की थी। तब से लेकर आज तक हर साल 3 मई को ये दिन मनाया जाता है।
प्रेस स्वतंत्रता दिवस क्यों मनाया जाता है?
मीडिया (प्रेस) को लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में माना जाता है, लेकिन इस स्तंभ पर भी अत्याचार कुछ कम नहीं होते। मीडिया की शक्ति और प्रभावित करने की क्षमता को देखते हुए कई असामाजिक तत्व व अपराधी प्रवृत्ति के लोग इसे अपनी गिरफ्त में ले लेना चाहते हैं। इसके लिए वह तरह-तरह के हथकंडे अपनाते हैं। ऐसे लोग कभी अपनी ताकत व पद का इस्तेमाल कर या कभी अपने जानकारों का इस्तेमाल कर इसे दबाने की कोशिश करते हैं। कई बार खबरें दबाने के लिए रिपोर्ट्स को धमकियां देकर भी डराया जाता है। इस तरह से अभिव्यक्ति की आजादी को खत्म कर दिया जाता है। इसलिए 3 मई का दिवस प्रेस स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है, ताकि लोगों को जागरुक किया जा सके। साथ ही सरकारों का ध्यान भी इस तरफ खींचा जा सके। मौके पर दो गज दूरी व मास्क सैनिटाइजर के साथ पर्यावरण संरक्षण समिति अध्यक्ष संजय नवादा, हरि प्रकाश बाबा, घनश्याम पाल, नंदगोपाल वर्मा, खालिद सैफी, सफी मोहम्मद सैफी, अमित मावी, हरेंद्र नागर एवं प्रशांत नागर मौजूद रहै।
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