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आर्टिकल 21 तहत भारत के हर नागरिक को मान सम्मान सहित प्रदूषण रहित स्वस्थ पर्यावरण माहौल में जीने का बुनियादी हक है। जयदेव अवाना

फ्यूचर लाइन टाईम्स, मनोज तोमर ब्यूरो चीफ गोतम बुद्ध नगर ।
नोएडा ।हालचाल नहीं पूछूँगा, क्योंकि पता है। रिपोर्टरस की ही नहीं, संवेदनशील डॉक्टरर्स और मेडिकल स्टाफ की भी हालत भी खराब है।हम वकील लोग जब रिश्तों के टूटने के केस, गम्भीर चोट/हत्या/धोखाधड़ी आदि के केस में ट्रायल करते हैं फ़ाइल स्टडी करते हैं तो कई बार भावुक दुःखी हो जाते हैं लेकिन फिर खुद को संभाल कर काम करना पड़ता है।
खैर, बुनियादी बात ये कि भारत के सबसे बड़े कानून यानि कि भारत के संविधान,1950 के आर्टिकल 21 तहत भारत के हर नागरिक को मान सम्मान सहित प्रदूषण रहित स्वस्थ पर्यावरण माहौल में जीने का बुनियादी हक है।जिसके लिए स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना राज्य(राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों)का बुनियादी अनिवार्य कर्तव्य है, जिसके बदले हम उसे बतौर राज्य स्वयं पर शासन करने का कानूनी हक देते हैं।आज सरकार के पास पैसों की कमी नहीं,करीब 1.5 लाख करोड़ रु प्रतिमाह GST मिलता है, फिर सरकारी अस्पतालों की दुर्दशा क्यों, उन्हें दुर्दशामुक्त कर मेरितबेस्ड क्यों नहीं किया गया।किसकी जिम्मेदारी है-IAS DM व सचिव,CMO/CMS/स्वास्थ्य मंत्री/मुख्यमंत्री/प्रधानमंत्री/प्राइवेट कारपोरेट अस्पताल या ये सब!आपके ऑफिस करीब जिला अस्पताल गौतमबुद्ध नगर, सेक्टर 30 नोएडा जाकर कभी देखिए,मैंने कुछ समय पहले खुद देखा है कि दिल्ली के करीब यूपी की इस शो विंडो नोएडा के इस अस्पताल का बजट भले ही करोड़ों रुपए हो,लेकिन उसमें पुरानी बडी बडी टैबलेट दी जाती है जिनसे अच्छा खासा आदमी भी बीमार हो जाये फिर बीमार क्यों न मरे!इमरजेंसी में मामूली 10 रु का टिटनेस इंजेक्शन तक नहीं मिलता कई बार।मैने कई बार लिखा,एक बार तो पिछले CMS डॉ अजेय अग्रवाल ने लिखित धमकी ईमेल और जबानी दी कि आप पर केस कर देंगे,मैंने कहा कि मोस्ट वेलकम कीजिए, तभी तो सच्चाई दुनिया के सामने आएगी,तो वे तुरंत ढीले हो गए।
मैंने कांग्रेस सरकार मनमोहन सिंह की रही हो उसके भ्रष्टाचार और महंगाई विरुद्ध खूब लिखा,पर कोई फर्क नहीं।सुप्रीम कोर्ट और इलाहाबाद हाइकोर्ट को कई बार ईमेल लिखा कि आर्टिकल 32,226 तहत आप लोगों के मूल-बुनियादी अधिकारों के संरक्षक है, हर नागरिक प्रति आपका फर्ज है, फिर क्यों उदासीन/फर्ज नहीं निभा रहे,कोई असर नहीं।वुहान लैब,चीन को भी ईमेल मार्फ़त कामचलाऊ अंग्रेजी में सख्त पत्र पिछले साल लिखा मैंने, लेकिन जवाब नहीं।
12 हजार से अधिक ट्वीट्स किये मोदी,pmo, hmo, hrd, स्वास्थ्य मंत्री,मुख्यमंत्री गण, आईएएस एसोसिएशन,आईपीएस एसोसिएशन, विभागों, संस्थाओं आदि को टैग कर लेकिन वही ढाक के तीन पात। इन्ही चक्करों में अपर जिला जज की हाइकोर्ट परीक्षा में मैं बहुत मामूली अंतर से सेलेक्शन से रह गया,तो गुस्से में मैंने ट्विटर,फेसबुक, इंस्टाग्राम, गूगलप्लस आदि सभी सोशल एकाउंट डिलीट कर दिए,क्योंकि बहुत से हल्के लोग सेलेक्ट हो गए और हम लोक कर्तव्यनिर्वहन में टाइम,ऊर्जा बर्बाद करते -देखते रह गए।खैर,निजी कोई अफसोस नही,बस अपने बच्चों सहित ज्ञात-अज्ञात सभी शरीफ और ईमानदार लोगों की चिंता रहती है।
यदि यही चलता रहा तो कुछ समय बाद 18 साल से कम उम्र के बच्चों की कोरोना के थर्ड वेव नए खतरनाक वैरिएंट से बड़ी संख्या में मौत और बड़ी बड़ी दुःखद खबरें सुनने देखने को मिलने की लॉजिकल आशंकाएं हैं।DRDO, IMCR सहित जो भी जिम्मेदार,प्रभावी लोगों से परिचय हो उनसे कहिये कि अमेरिका व अन्य देशों से बच्चों की वेक्सीन युद्ध स्तर पर इम्पोर्ट करें जल्द से जल्द।

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