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महामारी के इस दौर में हुई सच्चे जनसेवकों की पहचान।

फ्यूचर लाइन टाईम्स, सुनील गौतम प्रभारी दिल्ली की विनय चौधरी से खास बात-चीत। गाजियाबाद। दोस्तों जब दिल बड़ा हो, सोच बड़ी हो, हौंसला बड़ा हो तो कोरोना की तो कुछ भी औकात नहीं! इस देश में तमाम लोग ऐसे हैं जो खुद भूखे भी रहना पड़े तो रह लेंगे लेकिन अपने हिस्से की रोटी भी उठाकर दे देंगे, ऐसे लोगों की गिनती में एक नाम आता है जिनको मै व्यक्तिगत रूप से बहुत अच्छी तरह जानता हूं! उस नेकदिल इंसान को विनय चौधरी कहते हैं! 22 मार्च 2020 को जब लोकडाउन की घोषणा हुई उस दिन से लेकर जब तक लॉकडॉउन समाप्त नहीं हुआ हर सुबह, हर शाम, दिन से लेकर रात तक, विनय चौधरी ने अपने आस पास के किसी भी जरूरतमंद को भूखा नहीं सोने दिया! और आप ताज्जुब करेंगे ये सेवा सिर्फ नोएडा ही नहीं बल्कि, गाजियाबाद, दिल्ली, फरीदाबाद तक विनय चौधरी और उनकी धर्मपत्नी श्रीमती अपेक्षा यादव खुद कर रहे थे!
आज फिर वही भयावह मंजर सामने है, फिर एक बार संकट के बादल मंडरा रहे हैं, फिर एक बार इंसान चिंतन में डूबा हुआ नजर आ रहा है! आखिरकार क्या होगा, कैसे होगा, दिल्ली प्रदेश के भाजपा प्रवक्ता विनय चौधरी से देश के हालातों पर एक बार फिर हुई चर्चा के प्रमुख अंश:
ऐसे में सवाल है की देश में मची हुई कोरोना खलबली के बारे में क्या कहना चाहेंगे
जवाब: देश के हालात वास्तव में बहुत चिंता जनक हैं! हम सभी लोगों को समझदारी का परिचय देते हुए सरकार द्वारा जनहित में जारी हर गाइडलाइन का पालन करना चाहिए! सरकार लगातार हम लोगों के चिंतन में जुटी हुई है! हर बेहतर प्रयास सरकार के द्वारा किया जा रहा है, बस हमको जागरूक होने की जरूरत है!
सवाल: लॉकडॉउन के दौरान पीएम केयर फंड बनाया गया था, उसमें हर देशवासी ने अपनी ताकत अनुसार सहयोग दिया था! उस पैसे को सरकार ने किस प्रकार इस्तेमाल किया है। 
जवाब: पूरे विश्व में सर्वप्रथम भारत ने वैक्सीन बनाने का काम किया है, नए नए उपकरण भारत ने खरीदे हैं, देश भर के बड़े - बड़े साइंटिस्ट खोज में जुटे रहे और आज भी जुटे हैं! एक और जहां विदेशों में कम जनसंख्या होने के बावजूद भी लाखों लोग मरे वहीं हमारे भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी ने अपनी सूझ बुझ से, अपने विचारों से, अपने संस्कारों सबसे अधिक आबादी वाले भारत के करोड़ों लोगों की ज़िंदगी को बचाने का काम किया!
सवाल: पिछले वर्ष से लेकर अब तक स्कूल बिल्कुल भी नहीं खुले लेकिन स्कूल्स ने पूरी फीस ली, ऐसी स्तिथि में प्रदेश सरकारों को, केंद्र सरकार को जनता की किस प्रकार मदद करनी चाहिए
जवाब: पूरे साल में जिस तरह से पढ़ाई हुई है स्कूल संचालकों को फीस का सिर्फ 10 या 15 प्रतिशत लेना चाहिए था! ये बहुत गलत बात है जिस परेशानी के दौर से लोग गुजरे हैं, जो अपने खाने की व्यवस्था को भी बहुत मुश्किल से जुटा पा रहे थे, उन लोगों ने अपने बच्चों के भविष्य की खातिर कैसे - कैसे फीस का इंतजाम किया होगा! सरकारों को ऐसे स्कूल चिह्नित करने चाहिए जिन्होंने मजबूरी के दौर में भी पूरी पूरी फीस ली हैं और आज भी ले रहे हैं! जबकि शिक्षकों के वेतन में कटौती की गई! स्कूल का हर खर्चा बचा उसके बावजूद भी पूरी फीस लेने वाले स्कूलों के खिलाफ एफअाईआर दर्ज होनी चाहिए!
सवाल: आज व्यापारी बहुत हताश और निराश है क्या कहना चाहेंगे
जवाब: ये बात बिल्कुल ठीक है व्यापारी वर्ग बिल्कुल टूट चुका है, लेकिन जान है तो जहान है, ये वक़्त जान बचाने का है! अगर आज जान बच गई तो कल फिर हम खड़े हो जाएंगे! हर व्यापारी हिम्मत से काम ले, अपने हौंसले ना टूटने दे! हर रात के बाद फिर सवेरा होता है!*

सवाल: अगर फिर से लॉकडॉउन लगता है तो आपकी क्या तैयारी है। 
जवाब: एक दूसरे से करते हैं प्यार हम, एक दूसरे के लिए बेकरार हम, एक दूसरे के वास्ते मरना पड़े तो, हैं तैयार हम! ये भारत है यहां जैसे संस्कार पूरे विश्व में नहीं मिलेंगे! पहले तो ईश्वर से ये प्रार्थना करता हूं कि संकट की घड़ी अब किसी पर ना आए, अगर फिर भी उस खतरनाक मंजर का सामना करना पड़ा तो ये विनय चौधरी फिर से एक बार वादा करता है जो सेवा पिछली बार की थी इस बार चार गुना ताकत से सबकी मदद करने का काम करूंगा! पूरी ताकत पूरी शिद्दत से मेरा एक ही लक्ष्य होगा हर किसी की मदद करना!

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