ग्रेटर नोएडा। शारदा यूनिवर्सिटी की ओर से सोमवार को फोरेंसिक साइंस और लीगल क्षेत्र में उसकी उपयोगिता पर सेमिनार आयोजित किया गया। इसमें मुख्य अतिथि के रूप में यूपी के एंटी टेरर स्क्वाॅड के चीफ और वरिष्ठ आईपीए अधिकारी डाॅ जी के गोस्वामी ने विभिन्न आयामों से छात्रों को रूबरू कराया। उन्होंने बताया कि फरेंसिक साइंस ने न्यायालय में अपराध को साबित कर दोषियों को सजा दिलाने में अहम योगदान दिया है। शारदा विवि के चांसलर पी के गुप्ता ने फोरेंसिक साइंस की महत्ता बताते हुए कहा कि इसके बिना ट्रायल में अपना मजबूती से पक्ष प्रस्तुत नहीं किया जा सकता।
स्कूल आॅफ एलाइड हेल्थ साइंस की ओर से आयोजित सेमिनार में एटीस के मुखिया डाॅ गोस्वामी ने कहा कि सेमिनार का मकसद स्टूडेंट्स को विभिन्न प्रकार के अपराधों को समझाना, अपराध की गंभीरता को देखते हुए विभिन्न वैज्ञानिक साक्ष्यों को एकत्र करके सहजेना, फोरेंसिक साइंस के मेडिको.लीगल पहलुओं को समझाना है। सेमिनार में विधि के छात्रों को विधि विज्ञान विशेषज्ञों की ओर से चिकित्सा और न्याय के क्षेत्र में विधि विज्ञान की भूमिका के बारे में भी बताया गया। उन्होंने कहा कि हाईटेक जमाने में फोरेंसिक साइंस के बिना अपराधों की विवेचना संभव नहीं है। फोरेंसिक साइंस एक्सपर्ट, अभियोजन अधिकारी व पुलिस के विवेचना अधिकारियों में सामंजस्य जरूरी है। उन्होंने साइबर लाॅ के संबंध में भी जानकारी दी। इसके अलावा उन्होंने सेमिनार के दौरान छात्रों से सवाल भी पूछे और उनके जवाब भी दिए। शारदा विवि के चांसलर पी के गुप्ता ने इन्वेस्टीगेशन फोरेंसिक साइंस को साइंटिफिक टूल के रूप में उपयोग करने के लिए जाेर दिया। उनका कहना था कि फोरेंसिक के बिना ट्रायल में अपना मजबूती से पक्ष प्रस्तुत नहीं किया जा सकता। प्रो चांसलर वाई के गुप्ता ने फोरेंसिक अनुसंधान के उपयोग पर बल दिया। उन्होंने वैज्ञानिक तरीके से सबूत जुटाकर स्पीडी टायल से अपराधियों को सजा दिलाने की वकालत की। मौके पर कुलपति प्रो सिबाराम खारा और स्कूल आॅफ एलाइड हेल्थ साइंस की डीन प्रो शैली लूकोस ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम के अंत में प्रो शालवी उपाध्याय ने सभी अतिथियों का धन्यवाद किया।
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