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सड़कों पर होने वाली दुर्घटनाओं के कारण होते हैं हेड इंजरी और ब्रेन डैमेज के सबसे ज्यादा मामले।

फ्यूचर लाइन टाईम्स सफ़ी मोहम्मद सैफी संवाददाता ग्रेटर नोएडा की रिपोर्ट। 
हेड इंजरी को लेकर जागरूकता अभियान 
चिकित्सा जगत में हुई तरक्की और गोल्डन पीरियड के अंदर इलाज कराने से कई मरीजों की जान बचाई जा सकती है
ग्रेटर नोएडा: ट्रॉमेटिक हेड इंजरी के बढ़ते मामलों के बीच कई मरीज आजीवन गंभीर रूप से इस बीमारी की जकड़ में आ जाते हैं। लिहाजा ऐसे किसी मरीज को सुरक्षित बचाने के लिए गोल्डन पीरियड के अंदर उसे अस्पताल पहुंचाने के बारे में जागरूकता फैलाना सख्त जरूरी हो गया है।
सड़क पर होने वाली दुर्घटनाओं के कारण हेड इंजरी के मामले ज्यादा होते हैं, इसलिए लोगों को सुरक्षा के सभी नियमों का पालन करना चाहिए और इस बीमारी से बचने का यही एकमात्र विकल्प है। इसे ध्यान में रखते हुए यथार्थ हॉस्पिटल ने युवा चालकों और दोपहिया सवारियों को हेलमेट, सीट बेल्ट जैसे सुरक्षा उपकरणों का सही इस्तेमाल करने को लेकर शिक्षित करने के लिए एक जागरूकता सत्र का आयोजन किया। इसमें बताया जा रहा है कि सुरक्षा उपकरणों का सही इस्तेमाल दुर्घटना के दौरान मस्तिष्क को क्षतिग्रस्त होने से बचाने में अहम भूमिका निभाता है।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, विश्व में सबसे खराब सड़क सुरक्षा रिकॉर्ड भारत का ही है। प्रतिदिन सड़क दुर्घटनाओं में लगभग 400 लोगों की मौत हो जाती है, जबकि प्रतिदिन होने वाली 1317 सड़क दुर्घटनाओं में 60 फीसदी मरीज हेड इंजरी का शिकार होते हैं। इन दुर्घटनाओं के मुख्य कारणों में तेज गति वाहन चलाना, नशे में वाहन चलाना (डीआईयू), लाल बत्ती पार करने से लेकर बेतरतीब और खतरनाक तरीके से वाहन चलाना और असुरक्षित तरीके से लेन बदलना शामिल है। परिणामस्वरूप प्रतिदिन अस्पतालों में मामूली दुर्घटना से लेकर गंभीर दुर्घटना के शिकार लोगों की संख्या बढ़ती ही जा रही है।
ग्रेटर नोएडा स्थित यथार्थ सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के न्यूरोसाइंसेस हेड, डॉक्टर प्रंकुल सिंघल ने बताया कि, 'सड़क दुर्घटना या ट्रॉमा या किसी अन्य कारण से होने वाली हेड इंजरी स्थायी अपंगता का सबसे बड़ा कारण है जबकि संज्ञानात्मक अपंगता, दृष्टि और बोली खत्म होना, बहरापन, आंशिक से गंभीर लकवा, न्यूरोलॉजिकल तथा न्यूरो साइकियाट्रिक समस्याएं और गंभीर मामले भी मृत्यु का कारण बन सकते हैं। पॉलीट्रोमा के इलाज और क्रिटिकल केयर के क्षेत्र में हुई तरक्की के कारण गंभीर दुर्घटना के दौरान हेड इंजरी से पीड़ित व्यक्ति को भी न सिर्फ बचाया जा सकता है बल्कि इलाज के बाद भी वे बेहतर क्वालिटी की जिंदगी जी सकते हैं, बशर्ते कि उन्हें गोल्डन पीरियड के दौरान अस्पताल पहुंचाया जाए।

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