फ्यूचर लाइन टाईम्स, विनोद नागर कहानी के लेखक।
विचार टाईम्स : एक विशेष रोचक कहानी लेखक के अनुसार हमारे घर के पास एक परिवार रहता है। पति का नाम राम और पत्नी का नाम शांति है। शादी के कुछ साल बाद शांति ने यह महसूस किया कि जिंदगी बड़ी नीरस और बोरिंग होती जा रही है। वह बहुत कुछ करना चाहते थी लेकिन कुछ हो नहीं पा रहा था। शांति के दो बेटे हुए एक दिन अचानक उसे यह खयाल आया यदि मेरे बच्चे सफल हो गए तो बच्चों के साथ मैं भी सफल हो जाऊंगी। मेरे बच्चों की सफलता ही मेरी सफलता है ।उसने मन ही मन संकल्प लिया कि चाहे कुछ भी हो जाए मुझे अपने बच्चों को कामयाब करना है और दोनों बच्चों को अधिकारी बनाना है अब मुझे केवल अपने बच्चों के लिए जीना है शांति ने सब छोड़ दिया 24 घंटे अपने बच्चों के लिए जीना शुरु कर दिया बच्चों की शिक्षा के लिए मेहनत करनी शुरू कर दी उन्हें कब खाना है कब सोना है कब ट्यूशन जाना है कब होमवर्क करना है कब स्कूल जाना है? शांति ने सब जिम्मेदारी अपने हाथ में ले ली शांति ने टीवी मोबाइल शादी विवाह फंक्शन प्रोग्राम हर उस चीज का त्याग कर दिया जो उसके और उसके बच्चों के पढ़ाई के बीच में आती है धीरे-धीरे मेहनत रंग लाई दोनों बच्चे पढ़ाई में होशियार होते गए और प्रथम श्रेणी से पास होते गए बाद में शांति ने प्रतियोगी परीक्षाओं तैयारी के लिए दोनों बच्चों का दिल्ली में एडमिशन करा दिया और वही अपने बच्चों के साथ रहने लगे किराए के कमरे में कई साल की कड़ी मेहनत के बाद वर्षों की तपस्या के बाद बच्चों का रिजल्ट आया। एक बेटा एसडीएम बना और दूसरा बेटा पुलिस में आईपीएस बन गया दोनों बच्चे सफल हो गए साथ में उनकी मां शांति का जीवन भी सफल हो गया।
0 टिप्पणियाँ