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इन्द्रियों का बुद्धिमत्ता पूर्वक प्रयोग करने से हम आध्यात्मिक प्रगति कर सकते हैं।

फ्यूचर लाइन टाईम्स, विमल वधावन योगाचार्य एडवोकेट, सर्वोच्च न्यायालय। 


विचार : इन्द्रियों अर्थात् हरी के क्या लक्षण हैं?इन्द्रियों का बुद्धिमत्ता पूर्वक प्रयोग करने से हम आध्यात्मिक प्रगति कर सकते हैं। 

सूर्य और वायु की शक्तियों का बुद्धिमत्ता पूर्वक प्रयोग करने से हम भौतिक प्रगति कर सकते हैं।


ऋग्वेद मण्डल-1 सूक्त-6, मन्त्र-2 उक्त विषय को स्पष्ट करता है। यह मन्त्र व्याख्या सहित आपके समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है। आप वैदिक ज्ञान का नियमित स्वाध्याय कर रहे हैं, आपका यह आध्यात्मिक दायित्व बनता है कि इस ज्ञान को अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचायें जिससे उन्हें भी नियमित रूप से वेद स्वाध्याय की प्रेरणा प्राप्त हो। वैदिक विवेक किसी एक विशेष मत, पंथ या समुदाय के लिए सीमित नहीं है। वेद में मानवता के उत्थान के लिए समस्त सत्य विज्ञान समाहित है। 


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हम समस्त पवित्र आत्माओं के लिए परमात्मा के इस सर्वोच्च ज्ञान की महान यात्रा के लिए शुभकामनाएँ देते हैं। शुभकामनाओं सहित,


  



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