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गाजियाबाद / प्रयागराज : प्रयागराज के किसानों की फसल लहलहाती। फसलों की सिंचाई के संसाधनों में नहरों से सिंचाई को सबसे अच्छा तरीका माना गया है। नहरों का पानी भूमि से नहीं लिया जाता, बल्कि वर्षा के पानी को बांध बनाकर रोका जाता है और फसली सीजन में आवश्यकतानुसार बांध से पानी छोड़कर नहरों के माध्यम से किसानों के खेतों तक पहुंचाया जाता है। नहर प्रणाली से कई लाभ होते हैं। नहरों के पानी से धरती में वाटर रिचार्ज होता रहता है। पशु-पक्षियों, वन्य जीवों को पीने का पानी मिलता रहता है। नहरों के किनारे वृक्षारोपण कर वनाच्छादन बढ़ाया जाता है। मछली व अन्य जलीय जीवों की संख्या में वृद्धि होगी। किसानों को सिंचाई के लिए भरपूर पानी मिलता है। इसीलिए विभिन्न लाभों को दृष्टिगत रखते हुए प्रदेश सरकार नहरों के सुधार, निर्माण सहित वांछित जल भण्डारण हेतु बांधों के निर्माण पर विशेष बल दिया है।
उत्तर प्रदेश का बुन्देलखण्ड व पठारी क्षेत्र सिंचाई साधनों के परम्परागत तरीके वर्षा, तालाब, कुओं के जल पर ही निर्भर रहा। इससे वर्षा कम होने पर किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिलता था।किसान ज्यादातर कम पानी वाली मोटे अनाज तिलहन, दलहन की फसलें ही उगाते थे।
देश का बाणसागर बांध मध्य प्रदेश राज्य के शहडोल जिले के देवलोंद नामक स्थान पर निर्मित अन्तर्राज्यीय बहुउद्देशीय वृहद नदी घाटी परियोजना है। यह बांध मध्य प्रदेश के सोन नदी पर बनाया गया है। इस बांध को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व0 अटल बिहारी वाजपेई ने 2006 को राष्ट्र को समर्पित किया था। इस बांध से उत्तर प्रदेश को सिंचाई के लिए नहर के माध्यम से पानी मिलना था। बाणसागर नहर परियोजना उत्तर प्रदेश में वर्ष 1989-90 में प्रारम्भ हुई। प्रदेश की पठारी क्षेत्र में बनाई जा रही यह नहर परियोजना काफी मुश्किल भरा रहा क्योंकि पत्थरों व मिट्टी को काटकर नहर बनाना एक चुनौती भरा कार्य रहा। बाणसागर नहर परियोजना जंगलों/वन क्षेत्र से होकर गुजरती है। इसलिए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार से अनुमोदन प्राप्त करना भी जरूरी था। वन क्षेत्र से नहर निकलने के लिए जब समय से अनापत्ति/अनुमोदन वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से प्राप्त नहीं हुआ तो वर्ष 2002 में नहर निर्माण का कार्य रूक गया।
देश के प्रधानमंत्री श्रे न्द्र मोदी ने देश की लम्बित परियोजनाओं का परीक्षण कराते हुए उत्तर प्रदेश की बाणसागर नहर परियोजना को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में सम्मिलित किया। भारत सरकार ने 2014 में सिंचाई परियोजना के अनुमोदन/स्वीकृति के लिए वन एवं पर्यावरण नीति में आवश्यक संशोधन करते हुए अक्टूबर 2014 में स्वीकृति प्रदान कर दी। इसके बाद नहर निर्माण कार्य तेजी से शुरू हुआ। विन्घ्य रेंज एवं प्रयागराज के असिंचित क्षेत्रों के किसानों के फसलोत्पादन के लिए किसानों के हितैषी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाणसागर नहर परियोजना को शीघ्र पूर्ण करने के लिए सिंचाई विभाग के दायित्व में तेजी लाई। सिंचाई विभाग के इंजीनियरों ने दिन-रात मेहनत कर 3420.24 करोड़ रू0 की वास्तविक लागत के इस परियोजना को वर्ष 2018 में पूर्ण कर दिया। नहर परियोजना पूर्ण होने पर भारत के मा0 प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 15 जुलाई, 2018 को लोकार्पण कर किसानों की सदियों की इच्छा पूर्ण करते हुए उन्हें सौगात दी।
वर्षों से लम्बित किसानों के कल्याण एवं राष्ट्र के विकास में सहभागी बाणसागर नहर परियोजना को पूर्ण कराने का जो साहस व दृढ़ता पूर्व के किसी सरकार ने नहीं दिखाया, वह प्रदेश के किसानों के हितैषी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कर दिखाया। बाणसागर नहर परियोजना के पूर्ण होने पर जनपद मिर्जापुर के 75309 हेक्टेयर भूमि के किसानों को अतिरिक्त सिंचाई की सुविधा मिली। उसी तरह जनपद प्रयागराज के 74823 हेक्टेयर भूमि में किसानों को सिंचाई की सुविधा मिली है। इस तरह कुल 150132 हेक्टेयर भूमि के किसानों को अतिरिक्त सिंचाई की व्यवस्था प्रदेश सरकार ने किया है। उत्तर प्रदेश के यह ऐसे क्षेत्र हैं, जहां अक्सर वर्षा की अनिश्चितता रहने के कारण पीने के पानी व सूखे की समस्या आती रहती थी। किन्तु अब हर स्थिति से निपटने के लिए यह परियोजना सक्षम हो गई है। इस क्षेत्र के किसानों और जनता में उत्साह और उमंग जागृत हो गई है। अब किसान हर तरह की फसल उगा रहे हैं और उनका जीवन खुशहाल है।
बाण सागर नहर परियोजना के पूर्ण हो जाने पर 1.70 लाख से अधिक किसानों को मिली सिंचाई सुविधा से अन्नदाता किसान अब दोगुनी से अधिक फसल उत्पादन कर रहे हैं। केन्द्र सरकार ने वर्ष 2022 तक अन्नदाताओं की आय दोगुनी करने का संकल्प लिया है। राज्य सरकार सिंचाई प्रणालियों को अधिक से अधिक संसाधन उपलब्ध कराकर निरन्तर क्रियाशील कर रही है। इससे प्रदेश की सिंचन क्षमता में बढ़ोत्तरी के साथ फसल उत्पादन बढ़ना स्वाभाविक है। इस प्रकार किसानों की आय बढ़ाने में उत्तर प्रदेश सरकार की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका है। पहले उत्पादित फसलों की अपेक्षा अब सिंचाई सुविधा होने से लगभग 5.50 लाख टन से अधिक अतिरिक्त फसल उत्पादन होने का अनुमान है। इससे किसानों की आय में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है और वे राष्ट्र निर्माण में सहभागी बन रहे हैं।
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