गुरुपूर्व के पावन अवसर पर मैं बाबा गुरु नानक देव जी के चरणों में शीश झुकाते हुए अपनी लिखी ग़ज़ल जोकि मैंने अभी हाल ही में संस्कृति एवं कला मंत्रालय,भारत सरकार द्वारा आयोजित कार्यक्रम "कवि दरबार" के कार्यक्रम में भी बोली थी जिसे लोगों ने देश और विदेश में भी बहुत पसंद कियाl आज के पावन दिन मैं उनको अपनी वही ग़ज़ल सादर समर्पित करता हूँ और उस ग़ज़ल के माध्यम से बस यही कहूंगा कि--
मुसीबत से हमें हर पल गुरु नानक बचाते हैं,
अगर कृपा हो नानक की तभी सांसें ले पाते हैंl
थमी है डोर जीवन की मेरे नानक के हाथों में,
वही हमको उठाते हैं वही हमको गिराते हैंl
कहा नानक की वाणी ने न तू ऊंचा न वो नीचा,
बिठा पंगत में इक सबको गुरु लंगर छकाते हैंl
मेरे नानक ये कहते हैं तेरा रब पास है तेरे,
पुकारेगा जिधर उनको वहीं इक पल में आते हैंl
दिशाएँ बांध ना सकती मेरे नानक की ताकत को,
रहे पश्चिम या पूरब हो झलक अपनी दिखाते हैंl
कहे तू राम या कृष्णा पुकारे चाहे तू ईसा,
सभी में नूर इक रब का यही नानक बताते हैंl
कहें नानक बुरे कर्मों से दुख ही पास आयेंगे,
करो सत्कर्म जीवन में मलिक सबको सिखाते हैंl
नरेश मलिक
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