फ्यूचर लाइन टाईम्स..
वो चिल्लाई होगी,खूब तड़पी होगी
पर दरिंदों ने एक ना सुनी होगी।
फिर दलित बहन की हत्या हो गयी
क्या भारत भूमि न्याय दे पाएगी??
क्यों कर रहे हो तुम जुल्म मुझ पर
जाने दो मुझे घास काटने खेत पर
दर्द हो रहा,दुप्पटा निकालो गले से
अरे कुछ तो रहम करो मुझ पर।
काश!पुलिस वक्त पर बयां लेने आती
मैं इस तरह मौत की गोद में ना जाती
नहीं दिया मेरी सांसो ने भी साथ मेरा-
वरना फूलनदेवी बन बदला जरूर लेती।
पिताजी मेरी जीभ काट ली इन लोगों ने
देखो मेरी रीढ़ की हड्डी को भी तोड़ दिया।
जालिमों ने जिस्म का हर हिस्सा नोंच डाला
पिताजी देखो मेरा हाल क्या कर दिया।
पिताजी माँ और भाई का ख्याल रखना
अब मैं कभी बेटी बनकर नहीं आउंगी।
मुझे शायद ही न्याय मिले, दलित जो हूँ
पिताजी आपके सपने में भी नहीं आउंगी।
अब कभी लौट के नहीं आउंगी।
अब कभी लौट के नहीं आउंगी।
~जितेंद्र सैनी (सम्भल)
0 टिप्पणियाँ