सीएम उत्तराखंड द्वारा पत्रकारों की आवाज दबाने के लिए उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में जगह जगह धरने प्रदर्शन
फ्यूचर लाइन टाईम्स
गाज़ियाबाद: उत्तराखंड सरकार और सीएम उत्तराखंड द्वारा पत्रकारों की आवाज दबाने के लिए पत्रकारों पर गैर कानूनी तरीके से राजद्रोह का मुकदमा दर्ज करने के खिलाफ पूरे उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में जगह जगह धरने प्रदर्शन हो रहे हैं। इसी कड़ी में आज ग़ज़ियाबाद में पत्रकारों ने जिला मुख्यालय पर मूक प्रदर्शन किया और जिलाधिकारी कार्यालय पंहुचकर राष्ट्रपति के लिए संबोधित ज्ञापन डीएम को सौंपा। पत्रकारों ने राष्ट्रपति के मांग की है कि उत्तराखंड में पत्रकारों पर दर्ज किए गए राजद्रोह के मुकदमे तुरंत वापस किए जाएं और इस षड्यंत्र में शामिल लोगों की जांच की जाए। सभी जानते हैं कि मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है। भारत में मीडिया ने लोकतांत्रिक परंपराओं और जनतंत्र की रक्षा के लिए हमेशा महत्वपूर्म योगदान दिया। लोकतंत्र के रक्षक और समाज के सजग प्रहरी के रूप में पत्रकार अपनी भूमिका का सफलता पूर्वक निर्वहन कर रहे हैं। किंतु कुछ वर्षों से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत लगातार पत्रकारों की आवाज रोकते आ रहे हैं और राजद्रोह जैसी धाराओं का सहारा लेकर पत्रकारों पर मुकदमा दर्ज करा रहे हैं, जो कि लोकतंत्र के खिलाफ है । उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत निजी तौर पर भी संगीन धाराओं के तहत पुलिस पर दवाब बनाकर कई पत्रकारों को जेल भेज चुके हैं। अब उत्तराखंड सरकार ने निजी न्यूज चैनल के मुख्य संपादक श्री उमेश कुमार और वरिष्ठ पत्रकार राजेश शर्मा एवं एसपी सेमवाल व अन्य लोगों के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया है। उत्तराखंड सरकार के इस दमनकारी रवैया के खिलाफ गाजियाबाद में पत्रकारों ने मूक प्रदर्शन किया और जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचकर राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन एडीएम को सौंपा। वरिष्ठ पत्रकार एवं श्रमजीवी पत्रकार संघ के अध्यक्ष श्री अनुज चौधरी ने कहां की उत्तराखंड सरकार पत्रकारों को दबाने के लिए इस तरह की कार्रवाई कर रही है। जिससे कि पत्रकार आवाज बुलंद ना करें और जनता के मुद्दे सरकार पर हावी ना हो और न ही भ्रष्टाचार के खुलासे हों। इसलिए उत्तराखंड के सीएम सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर राजद्रोह जैसी संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज करा रहे हैं जो कि सर्वथा गलत है। उन्होंने मांग उठाई कि राष्ट्रपति इस मामले की जांच किसी अन्य एजेंसी से कराएं ताकि सच सामने आ सके। वरिष्ठ पत्रकार एवं पत्रकार एसोसिएशन गाज़ियाबाद के महासचिव श्री संदीप सिंघल ने कहा कि पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है। लेकिन कुछ शक्तिशाली राजनीतिक लोग चौथे स्तंभ को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं। और ऐसा ही कुछ उत्तराखंड में भी देखने को मिल रहा है, जहां सीएम त्रिवेंद्र रावत ने पत्रकारों पर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज कराकर पायरकारों की आवाज को दबाने की कोशिश की है। पत्रकार बिरादरी पत्रकारों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ शांत नहीं बैठेगी। वरिष्ठ पत्रकार डॉ बी ज़मां ने कहा कि सच कहना और लिखना पत्रकार के लिए मुश्किल हो गया है। खबर लिखने या दिखाने पर मुकदमे दर्ज हो रहे हैं। देश मे अघोषित आपातकाल जैसी स्थिति हो गयी है। उन्होंने राष्ट्रपति से मांग की है कि उत्तराखंड में वरिष्ठ पत्रकार श्री उमेश कुमार, श्री अजय शर्मा, श्री एस पी सेमवाल व कुछ अन्य लोगों पर दर्ज किए गए मुकदमे तुरंत वापस लिए जाएं और इस मामले की जांच उत्तराखंड पुलिस से हटाकर किसी अन्य राज्य की पुलिस से या सीबीआई से कराई जाए। इस मौके पर पत्रकार निशांत पंडित, दीपक भाटी, सत्यम पंचोली,प्रवीण अरोरा, दीपक चौधरी,जितेंद्र भाटी, यादराम भारती, शक्ति सिंह, राहुल सिंह, सोनू खान, दिनेश कुमार, शिवम गौतम, सतेंद्र राघव,सुनील गौतम, सनी कुमार, अमित राणा, नवीन शेट्टी, संजय मित्तल ,वरुण, पुनीत आदि पत्रकार मौजूद रहे।
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