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फ्यूचर लाइन टाईम्स
प्रसिद्ध शायर राहत इंदौरी के आकस्मिक निधन से साहित्य जगत का एक और चमकता सितारा सदा के लिए आकाश के गहन अंधेरे में कहीं खो गया हैl हालांकि राहत जी शायरी के फ़न में माहिर और अदब की दुनिया के मंझे हुए शायर थे परंतु उनके कुछ शेर राजनीतिक, धार्मिक और और सामाजिक रूप से विवादस्पद भी रहे हैं और जिसके लिए उनकी काफ़ी भर्त्सना भी हुई है और उनकी मौत पर भी विभिन्न लोग उनके पक्ष में या विपक्ष में अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं परंतु अगर हम केवल उनके शेर कहने और ग़ज़ल पर उनकी पकड़ की बात करें और केवल कला पक्ष और उनके हुनर को देखें तो वो एक हुनरमंद और अजीम शायर थेl उनके इंतकाल पर इस दुःख की घड़ी में व्यक्तिगत रूप से आदरणीय राहत जी को समर्पित अपने कहे चंद शेरों द्वारा विनम्र श्रद्धांजलि देते हुए यही कहूँगा कि----------------- कभी तुझसे सुखनवर मरते थोड़ी हैं, बसे हों जो दिलों में निकले थोड़ी हैंl अभी कुछ शेर कहते और दुनिया में, यूँ ख़ामोशी से राहत जाते थोड़ी हैंl सो जाने दो थकावट है उसे ज्यादा, गले मिल मौत से फिर उठते थोड़ी हैंl
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