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ग्रेटर नोएडा में कलेक्टर और नोएडा में एसीपी दफ्तर में बाढ़ जैसा नजारा,

  फ्यूचर लाइन टाईम्स....                                               


गौतमबुद्धनगर :- नोएडा कलेक्टर दफ्तर में बाढ़ जैसा नजारा, किसी बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र का नहीं है। यह हालात गौतमबुद्ध नगर जिला मुख्यालय पर ग्रेटर  नोएडा में जिलाधिकारी कार्यालय के हैं। पिछले 2 दिनों से हुई बारिश के दौरान जिलाधिकारी कार्यालय में घुटनों तक पानी भर गया है। हालात ऐसे हैं कि कर्मचारी पेंट घुटनों तक चढ़ाकर और हाथों में चप्पल लेकर दफ्तरों तक पहुंच रहे हैं। कलेक्टर डिप्टी, कलेक्टर और एडिशनल कलेक्टर की कारें आडी-टेडी करके किसी तरह सीढ़ियों तक लगाई जा रही हैं।ठीक ऐसा ही नजारा नोएडा में सहायक पुलिस आयुक्त के कार्यालय में भी देखने को मिला। वहां भी कई-कई फुट पानी भरा हुआ है। मजबूर होकर लोगों को पानी के बीच से आवागमन करना पड़ रहा है। यह हालत तब है जब नोएडा और ग्रेटर नोएडा को उत्तर प्रदेश की शो विंडो कहा जाता है।गुरुवार को जिलाधिकारी सुहास एलवाई अपने कार्यालय में अफसरों के साथ बैठक की, फरियादियों की समस्याएं सुनी और कोर्ट में मुकदमों की सुनवाई की। इस दौरान वादकारी, फरियादी, अफसर और कर्मचारी इस बार के बीच से ही आवागमन करने के लिए मजबूर रहे। गौतम बुद्ध नगर कलेक्ट्रेट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अतुल शर्मा का कहना है कि यह कोई नई समस्या नहीं है। जब से कलेक्ट्रेट कहां निर्माण हुआ है। तब से यही हालात है। कलेक्ट्रेट परिसर के निर्माण में बहुत बड़ी खामी है। पीछे सूरजपुर की आबादी और आगे सूरजपुर रोड ऊंची है। बीच में कलेक्ट्रेट की जमीन की ऊंचाई कम है। जिसके चलते चारों ओर का पानी आकर कलेक्ट्रेट में भर जाता है। कलेक्ट्रेट के सामने से गुजरने वाला और सीवर लाइनों से चौक हुए पड़े हैं। इन समस्याओं का समाधान करने की जिम्मेदारी शहर में ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण की है। जिला प्रशासन, कलेक्ट्रेट बार एसोसिएशन और तमाम सामाजिक संगठन इस मसले पर न जाने कितनी बार विकास प्राधिकरण को लिखकर शिकायत दे चुके हैं। कई बार जिलाधिकारी और अपर जिलाधिकारी भी विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी को पत्र भेज चुके हैं। लेकिन इस समस्या का समाधान नहीं हुआ है। एक और उत्तर प्रदेश सरकार नोएडा और ग्रेटर नोएडा को विकास का मॉडल बताकर पूरी दुनिया में प्रचारित करती है। इन शहरों के नाम पर हर साल लाखों करोड़ों रुपए के निवेश हासिल किए जाते हैं। दूसरी ओर यहां अपनी परेशानी मुकदमे और शिकायतें लेकर आने वाले लोगों को इस बड़ी परेशानी से उल्टे झुलझना पड़ता है।


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