फ्यूचर लाइन टाईम्स
ग्रेटर नोएडा : सन् 1902 में नागपुर में प्लेग का प्रकोप हुआ। बलिराम पंत मृतक लोगों के दाह संस्कार में बढ़-चढ़कर सहायता करते थे पति-पत्नी दोनों ने अद्भुत सामाजिकता एवं त्याग का परिचय दिया। केशव के जीवन पर माता पिता के इस सामाजिक भाव का प्रभाव पड़ा!जो उनके बाद के जीवन में परिलक्षित होता रहा!इस बीच वे दोनों स्वयं इस महामारी के शिकार हो गए और एक ही दिन चल बसे तेरह बर्षीय केशव ने पूरे होशो-हवास में अपने माता पिता की एक साथ चिता जलते देखी ! इस वज्रपात की पीड़ा जिसे न रोक सकी!ऐसे संघ के संस्थापक डॉ हेडगेवार थे। आज लग-भग सौ वर्ष के बाद कोरोना महामारी में प्रत्येक स्वंयसेवक पूजनीय डॉ. हेडगेवार के द्वारा प्रशस्त किया हुए मार्ग पर निरन्तर महादेव भूमिका में बढ़ रहा है!
आज हर बच्चे के अंदर केशव का साहस है, युवा पीढ़ी में पूजनीय डॉ हेडगेवार की राष्ट्र-भक्ति,और प्रौढ़ में उनकी वैचारिक प्रतिबद्धता झलकती है!
विवेक........✍️
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