फ्यूचर लाइन टाईम्स..
नई दिल्ली। क्षत्रिय महासभा भारत एव् विश्व के कार्यकारी अध्यक्ष राजवर्धन सिंह ने विरोध दर्ज कराते हुए कहा है कि भव्य राम मंदिर की निर्माण प्रक्रिया धर्म नगरी अयोध्या में चल रही है। प्रस्तावित राम मंदिर मॉडल 128 फीट ऊंचा था, जिसे पूर्व में बढ़ाकर 161 फीट ऊंचा करने का फैसला लिया गया था अब राम मन्दिर को और भव्य बनाने की अवश्यकता है और राम मंदिर निर्माण में क्षत्रियों की भागीदारी अनिवार्य है तभी शास्त्रोंक्त विधि का अनुपालन होगा।शास्त्रोंक्त विधि अनुपालन क्रम में मंदिर निर्माण के पहले और बाद में होने वाले भूमि पूजन शिलान्यास विग्रह प्राण प्रतिष्ठा यज्ञ आदि धार्मिक अनुष्ठान में क्षत्रिय उपस्थिति अनिवार्य है। ऐसे ही अयोध्या निवासी वरिष्ठ समाजसेवी राजेश सिंह मानव ने भी हाल ही में हुई एक प्रेसवार्ता कर यह आवाज उठाई थी राजेश मानव ने कहा कि पद्धति ग्रंथ पढिनीय सूत्र में वर्णित है कि यज्ञ विधि विधान में क्षत्रिय ही अधिकारी माना गया है। किसी अन्य को नहीं। वही ग्रंथ शतपथ ब्राह्मण में कहा गया है कि यज्ञ करने का अधिकार उसी कुलीन क्षत्रियो को है जो मुर्धाभिषिक्त राजा हो। ब्राह्मण या वेश्या को इसका अधिकार नहीं है । ऐसे में मंदिर निर्माण के मध्य होने वाले धार्मिक अनुष्ठान में क्षत्रियों की भागीदारी आवश्यक है प्रेसवार्ता में लीला सीताराम द्वारा लिखित पुस्तक अयोध्या का इतिहास भी दिखाया गया तथा कहा कि राजा विक्रमादित्य ने अयोध्या की पहचान की थी तथा राम मंदिर का निर्माण अयोध्या का रेखांकन एवं पूर्व आसन करके श्री रामचंद्र जी की वंशजों को लाकर अयोध्या तीर्थ के मंदिरों का निर्माण कराना आरंभ किया था।
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