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प्रकृति को क्षीण होता देख ये बादल भी रो देते हैं

फ्यूचर लाइन टाईम्स 



बहुत दुख होता है, जब पेड़ हरा होते हुए, रंगों से भरा होते हुए, टूट जाता है। पत्ते, जडें, तने और फल-फूल अपने अस्तित्व को खो देते हैं।


प्रकृति को क्षीण होता देख ये बादल भी रो देते हैं । जिसने बोया था कल, यह जानता है वही, बीज से नन्हा पौधा और फिर पेड़ बनते देखा था अभी। तेज आंधी, बारिश और तूफानों से हर मौसम उसे संभाला था। एक बच्चे की तरह अपनी पलकों पर उसे पाला था। अपने अंदर का सारा प्यार, देखभाल कर सींचा था जिसको, जाने किसकी नज़र लग गई थी उसको।


टूट जाती अगर कुछ डालियाँ, तो इतना ग़म न होता, शायद खो देने से, थोड़ा तो कम होता। दिया गया वक्त होता है एक पेड़, मेहनत का फल होता है एक पेड़, खा जाते हैं जिनको इंसान रूपी भेड़ ।


यह दुःख भारी है, उससे अधिक समझेगा कौन, व्यक्त अगर शब्दों से हो सकता, तो आज न होता वह मौन। #Anjali 🙂 @sacredsinner__


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