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लोकतंत्र के नाम पर सामंतवादी व्यवस्था हावी । रघुराज सिंह

फ्यूचर लाइन टाईम्स 



नोएडा : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रघुराज सिंह  का कहना है कि देश में बहुत राजनीतिक दल है । सब दलों में सबके कुछ आका है जो देश को चलाते है । मै एक कॉंग्रेसी हूँ और मुझे गर्व भी है । मैं एक ऐसे परिवार से सम्बन्ध रखता हूँ जिस परिवार के 14 लोग 1857 में देश के लिये शहीद हुऐ थे । इसी तरह कॉंग्रेस ने भी आजादी के आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की । इसमें अधिकांश नेताओ ने समय समय पर आगे बढ़ कर देश के लिये अपनी भूमिका का निर्वहन किया । इसीलिये आज सब सत्ताधारी दल हो या कोई राज्यस्तर का दल हो ,ज्यादातर लोग गांधी परिवार की आलोचना कर अपनी राजनीति करते है । इसलिये में इस सम्बंध में जानकारी देने का एक छोटा प्रयास कर रहा हूँ ।किसी को अच्छा लगे या ना लगे ये पढ़ने वाले के ऊपर है । सबको अपने अंदर झांकने की जरूरत है ,आगे इस कड़ी में सभी दलों के आका है । उदाहरण के तौर पर भाजपा में मोदी जी और अमित शाह, सपा में मुलायम परिवार, बसपा में मायावती परिवार,आम आदमी पार्टी में केजरीवाल,मनीष सिशोसिदिया, बी जे डी में नवीन पटनायक, आर जे डी में लालू परिवार, जे डी यू नीतीश कुमार,झारखंड मुक्ति मोर्चा शिब्बू सोरेन परिवार, तृणमूल कॉंग्रेस ममता बनर्जी, चौटाला परिवार,आंध्र में टी डी पी चन्द्र बाबू नायडू,वाई एस आर कोंग्रेस जगन रेड्डी , डी एम के करुणानिधि परिवार,जनता दल (एस) देवगौड़ा परिवार,अकाली दल प्रकाश सिंह बादल परिवार,टी आर एस के०चन्द्र शेखर राव, पी डी पी महबूबा मुफ्ती परिवार, नेशनल कॉन्फ्रेंस फारुख अब्दुल्ला परिवार ।


अब इन सभी पार्टियों के आकाओं को जोड़ो ,इनके साथ कुछ अन्य दल भी है ,उनके भी आका है । कुल मिलाकर 100 से ज्यादा नही होंगे । इन सबके साथ एक गठ जोड़ और है । देश की नोकरशाही जिसमे केंद्र और राज्यो को मिला कर लगभग 5 हजार लोग,न्याय पालिका में 250 परिवार है चाहो तो लिस्ट निकाल कर देख लेना, कुछ कॉरपोरेट के लोग , इन सबको मिला दिया जाय ऊपर से नीचे तक लाख की गिनती पूरी नही होगी । ये सब मिलकर पूरे देश पर राज करते है । 130 करोड़ में से इनको बाहर कर देखो तो गुलामो की संख्या कितनी है स्वम ही अंदाजा लग जायेगा । 


अब जनता को तय करना है इन धंदेबाजो के चंगुल में रहना है या बाहर निकलना है ये जनता स्वंम ही तय करें । पिछली पोस्ट में मैने लिखा था कि 3% ही लोग 97% पर राज करते है । जोकि सच है मानो या ना मानो आपकी मर्जी ।


रघुराज सिंह


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