फ्यूचर लाइन टाईम्स
बताओ कौन इस जग में, हुआ बेबात काफ़िर है,
सभी में नूर है उसका, मेरा रब सबका नाज़िर हैl
भले रब को न जोड़े हाथ, हो मगरूर वो खुद में,
मग़र भूले बशर क्यों तू, वो इक इंसान आख़िर हैl
नहीं मज़हब सिखाता ये, करे ऐलान तू जग में,
झुके ना दर पे रब के जो, वो ही इंसान काफ़िर हैl
सभी में दिल धड़कता है, मेरे रब की इजाज़त से,
ज़रा तू देख सबकी रूह में, हर पल वो हाज़िर हैl
ये हर मज़हब की वाणी है, सुनो तुझको बताता हूँ
रहे मिलजुल के जो सबसे, वही इंसान साबिर हैl
बताये रात को तू दिन, तेरी रग रग से वाकिफ़ हूँ,
मलिक इंसान इस जग में, हुआ हर फ़न में माहिर हैl
- आपका मित्र नरेश मलिक Copyright@naresh malik
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