फ्यूचर लाइन टाईम्स
नोएडा : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं समाजसेवी रघुराज का कहना है कि देश की हर राजनीतिक पार्टी और उस पार्टी के नेता किसानों के नाम पर दबाकर राजनीति करते है । कितनी विडम्बना है हर दल व्यापारी की बात करेंगे की उसके व्यापार को कैसे बढ़ाएं, दुकानदार की बात होगी कि उसके माल को कैसे बेचा जाय, कॉरपोरेट की बात होगी कि कैसे उनके घाटे को कम करें, बिल्डरों की बात होगी और उनके काम को बचाने के लिये हर यत्न सरकार करेगी,नोकरशाहो की तनख्वाह कम ना रहे उसका इंतजाम भी सरकार ही करेगी,देश मे कोई भी तबका हो उसकी बात सरकार करेगी और उनके घाटे को खत्म करने के लिये सरकार हर तरह के प्रयास करेगी, शेयर मार्कीट के घाटे को भी सरकार ही डारेक्ट या इनडारेक्ट पूरा करेगी,निफ्टी, सेंसेक्स के अलावा हर उद्योगपति के उद्योग को बचाने के लिये सरकार हर सम्भव यत्न करती है । लेकिन एक किसान और किसान पर आश्रित मजदूर पर सिर्फ और सिर्फ राजनीति होगी कोई उसकी भलाई का या उसको बचाने का प्रयास नही होगा , उस पर होगी तो सिर्फ राजनीति ही । आप सबकी जानकारी के लिये बताना चाह रहा हूँ कि देश मे किसान और किसानो पर आश्रित मजदूर पर हर राजनीतिक दलों ने अपने यहां सम्बंधित यूनिट बना रखी है मगर उनकी हैसियत कुछ नही और उनमें वो लोग नामित होते है जिनको किसानों से कोई लेना देना नही । मेरे दल का तो मुझे पता है, कि कभी कोई काम होता ही नही और जो संगठन है उसके कार्यक्रम क्या है,योजना क्या है,किसानों को कैसे ऊपर उठाया जाय इन सब पर कोई चर्चा नही बल्कि जो इस संगठन का प्रभारी होता है उसकी अहमियत ज्यादा होती है जबकि उसे किसान की दशा क्या होती है पता ही नही होता । ऐसा ही देश की सभी राजनीतिक दलों में होता है । बदकिस्मती देखिये किसानो की और उससे जुड़े किसानी मजदूरों की । देश मे लगभग 50 से 60 करोड़ किसान और उससे जुड़े लगभग इतने ही लोग किसान मजदूर जो भूमि हीन है । इन दोनों को मिला दिया जाय तो 100 से 110 करोड़ के लगभग ये लोग बैठते है । जिनकी गिनती आबादी के हिसाब से लगभग 110 करोड़ उनकी राजनीतिक दल में भागीदारी 0% और बाकियों की गिनती सबको मिलाकर 20 करोड़ उनकी भागीदारी 100% ये है असली भेदभाव । उनकी इस देश मे महत्वपूर्ण भूमिका होते हूऐ भी उनकी हैसियत सिर्फ एक वोट तक ही सीमित है और इन दोनो तबकों पर हर राजनीतिक दल राजनीति ही करता है और कुछ नही । ऐसा में अपने तजुर्बे के आधार पर कह रहा हूँ । जब से याददाश्त है तबसे अब तक किसान और किसानों और आश्रित मजदूर सबकी हालात ऐसी ही है जैसी 50 साल पहले थी । आगे इन 2 तबकों की आबादी को छोड़ कर कितनी आबादी बचती है जिसके लिये सरकार रात ,दिन जुटी रहती है । ये योजना,ये राहत,ये रिबेट,ये छूट सब कुछ उन लोगो के लिये है जिसमे नोकरशाह,कॉरपोरेट,बिल्डर, दुकानदार, सांसद, विधायक, मंत्री,,राजनीतिक दलों के असरदार पदाधिकारी व सदस्य,शेयर मार्किट,निफ्टी,सेंसेक्स आदि के लोग । अब इनकी गिनती भी अलग अलग आप स्वंम कर ले पता चल जायेगा कि सरकार को नही बल्कि देश मे दो तरह के लोगो के शोषण के लिये किसान और किसानों पर आश्रित मजदूरों को गुलाम रखने के लिये कैसे कैसे यत्न इस देश मे होते है । मेरा सभी राजनीतिक दलों के नेताओ से कहना है कि अपने अपने संगठन में किसानों को अहमियत देना शरू करें नाकि कागजी नेताओ से किसानों के नाम पर राजनीति करवाना बन्द करें । काश देश मे सिर्फ ये ही 2 तबके किसान और किसानी से जुड़े मजदूर उठ खड़े हो तो देश एक बार फिर सोने की चिड़िया बन सकता है । चलते चलते एक बात और सबको बता देना चाहता हूँ कि देश की फ़ौज,पुलिस व अन्य सभी सुरक्षा से सम्बंधित सभी फोर्स यानि सब की सब मे लगभग 100 % लोग इन्ही 2 तबके से ही आते है किसान और किसानी मजदूर से । अब देश को सोचना पड़ेगा 100% लोगो का और इनके परिवारों का कि ये कहाँ है और इनका भविष्य क्या है?
रघुराज सिंह
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