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लोकतंत्र किसे कहते हैं? रघुराज सिंह

 फ्यूचर लाइन टाईम्स


 



नोएडा : सियासत भी इस कदर लोगो पर अहसान करती है,  पहले आँखे छीन लेती है उसके बाद चश्में दान करने की घोषणा करती है मगर देती नही ? इसे कहते है लोकतंत्र ?


कोरोना को पहले देश मे बाइज्जत लाया गया प्रधान सेवक जी की सरकार द्वारा,फिर गुजरात मे अपने तथाकथित विदेशी मित्रो के माध्यम से देश मे फैलाया गया ? उसके बाद देश मे कोरोना को राष्टीय आपदा घोषित किया तो मेरे प्यारे देश भक्तो जब राष्टीय आपदा है तो कानूनी तौर पर केंद सरकार की जुम्मेदारी बनती है नाकि राज्यो की ।इलाज की व्यवस्था,मरीजो से सम्बंधित जो भी जरूरत है वो केंद सरकार की जुम्मेवारी ही है । राज्य सरकार उसमे केंद को सहयोग करेगी । आज जो प्रधान सेवक जी है कभी उन्होंने ही भुज में आये भूकम्प को राष्टीय आपदा घोषित करने की मांग की थी जब वो गुजरात के मुख्यमंत्री थे । फिर गृहमन्त्री वर्चुवल रैली में आरोप लगाते है कि इस विपदा में विपक्ष ने क्या किया । जबकि राष्टीय आपदा की देखरेख की जुम्मेदारी केंद्रीय गृहमन्त्री जी की ही होती है हर तरह से !!!!! वैसे केंद्रीय गृहमंत्री जी अपने मंत्रियों के साथ चुनाव तैयारी के लिये वर्चुवल रैली में जुटे है तो राष्टीय आपदा की देखरेख कौंन करेगा ? 


वैसे सरकार के तो अच्छे दिन आ ही गये चुनाव जो है विधान सभाओं के और राज्य सभा के ,खरीद फरोख्त भी जारी है ,सब कुछ धनबल के आगे नतमस्तक है ।


मेरा अंधों,बहरो से आग्रह है कि अपनी है नही दुसरो की सुननी नही । इसका तातपर्य भक्त ही समझ सकते है , भक्त चाहे जिसके भी हो ! ग्रामीणों से,किसानों से,श्रमिको से आग्रह है कृपया अंधे बहरो के चंगुल से निकलो नही तो आपकी नस्ले भी इन्ही अंधे बहरो की कतार में होगी और आप कुछ नही कर पाओगे । गलत को गलत कहने का साहस कीजिये, वरना मुर्दो की कतार में तो खड़े ही है सब ?


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