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दुबकते हैं जब हम डरे घर के अंदर, ये सैनिक ही दुश्मन को पल में मिटातेl

फ्यूचर लाइन टाईम्स


 



 मित्रो, गलवान घाटी में देश के लिए शहीद हुए सभी 20 जवानों को मेरा शत शत नमनl उनकी इस कुर्बानी पर उनको अपनी कही एवं लिखी ग़ज़ल के माध्यम से दिली श्रद्धांजलि देते हुए यही कहूँगा कि-


 


हमारे लिए वो सभी ग़म उठाते,


खड़े रह के सीमा पे गोली भी खातेl


 


भले शीत हो या हो गर्मी का मौसम,


हरिक हाल में फ़र्ज़ अपना निभातेl


 


भले लाख बंधन उन्हें घर के रहते,


वो क़ुरबां वतन पे मगर हो हैं जातेl


 


दुबकते हैं जब हम डरे घर के अंदर,


ये सैनिक ही दुश्मन को पल में मिटातेl


 


लगे कोई गोली जो साथी को उनके,


वो इक की जगह दस है दुश्मन गिरातेl


 


भले चाक सीना हो गोली से उनका,


वो हर हाल होठों से जन गण हैं गातेl


 


भले रोये बीबी या बहना पुकारे,


मग़र वो कफ़न में लिपट मुस्कुरातेl


 


नमन मेरा बांके शहीदों को दिल से,


वतन के लिए जो हैं सब कुछ लुटातेl


 


दहल जाती धरती गगन डर के कांपें,


कफ़न में ढकी अर्थी जब हम उठातेl


 


करें ऐसे वीरों को झुककर नमन हम,


हमारे लिए जो लहू हैं बहातेl


 


  - - आपका मित्र नरेश मलिक


Copyright@naresh malik


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