फ्यूचर लाइन टाईम्स
बिहार राज्य : जनपद छपरा , सारण : कोरोना वाइरस के महामारी से पूरा देश जूझ रहा है इस बीच बिहार के ज़िला छपरा सारण के दिघवारा आमी गांव के प्राचीन माँ अम्बिका भवानी मंदिर मे इस बीच फ़्यूचर लाइन टाइम्स की टीम पहूंची 8 जून से मंदिर खुलने के बाद माँ अम्बिका भवानी मंदिर मे भक्तों के कमी खिली मंदिरों के बाहर प्रसाद की दुकानदारों का कहना है की मंदिर खुलने के बाद भक्तों की कमी की वजह से हमें बहुत परेशानियां उठानी पड़ रही है अब जिस तरीके से करो ना वाइरस ने देश भर में एक देश का माहौल बना रखा है उसे निपटने के लिए मंदिर का खोलना आवश्कता था जिससे अभी धीरे-धीरे भक्त गण अपनी भक्ति के साथ मंदिर में दर्शन करने आ रहे हैं साथ ही साथ मंदिर के पुजारी का कहना है कि नियमों का पूरी तरीके से पालन किया जा रहा है जैसे कि सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रखते हुए गोलाकार का रेखा खींचा गया है जिससे सोशल डिस्टेंसिंग की नियम बनाए रखें और हरेक भक्तों से मंदिर के द्वार पर ही मास्क ओर सेनेटाइजर का प्रबंध किया गया है जिससे इस महामारी से निपटने का कहीं ना कहीं यह उचित रास्ता होगा मंदिर के सेवकों से भी बात की गई मंदिर के इतिहास के बारे में जनते है।
मंदिर सेवक,माँ अम्बिका स्थान आमी मंदिर का इतिहास इस मंदिर से जुडी एक बहुत पुरानी और रहस्यमयी कहानीओ है। कथा के अनुसार एक बार ब्रह्मदेव के पुत्र प्रजापति दक्ष एक बार भगवान शिव की पत्नी देवी सती के सामने ही बड़े आवाज में आलोचना करने लगे। और ऐसा करते वक्त वो भगवान शिव का अपमान भी कर रहे थे।वो सब देवी सती से देखा नहीं गया और देवी ने उसी समय ख़ुदकी जान दे दी। जब भगवान शिव को पता चलाकी उनकी पत्नी उन्हें हमेशा के लिए छोड़ के चली गयी तो भगवान शिव को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने गुस्से में देवी सती को कंधे पर बिठाकर तांडव करना शुरू कर दिया और उस तांडव के दौरान देवी सती के शरीर का कुछ हिस्सा निचे गिर गया।
और जिस जगह पर उनके शरीर का हिस्सा गिरा आज उसी जगह आमी मंदिर बनाया गया। तो यही है इस मंदिर की रोमांचक बात जिसे सुनकर किसी के भी रोंगटे खड़े हो जायेंगे।
देवी मां अम्बिका ‘महादेवी’ का एक सौम्य रूप भी माना जाता है। देवी मा अम्बिका “आदि पराशक्ति” का एक अवतार भी माना जाता है।
आमी गाव में पूजा करने का एक बहुत ही पुराना स्थान है जिसे ‘अम्बा स्थान’ कहते है और इस स्थान के बाजु में एक बड़ा सा बाग है। उस बाग में एक बहुत ही गहरा कुआ है जो साल भर पानी से भरा रहता है और कभीभी सुखा नहीं पड़ता, ऐसा यहाँ के लोगो का कहना है।
यहाँ के यज्ञ कुंड के दर्शन करने के लिए श्रद्धालु लोग बहुत दूर दूर से आते है। नवरात्री में सभी श्रद्धालु भक्त देवी के दर्शन करने के लिए आते है। जितने भी भक्त उस कुंड में जल चढाते है तो वो जल अपने आप ग़ायब हो जाता है। यही कुंड की खास बात है।
मंदिर से एक और खास बात जुडी है जिसके अनुसार जो भी श्रद्धालु भक्त देवी का दर्शन कर लेता है उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती। शायद उसी वजह से हर दशहरा के दिन यहापर भक्त लोग बड़े पैमाने पर आते है और देवी का आशीर्वाद प्राप्त करते है।
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