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शासन , प्रशासन एवं हमारे जन प्रतिनिधि एनसीआर एक्ट 1985 पर क्यो नही करते चर्चा ? रघुराज सिंह

फ्यूचर लाइन टाईम्स



धीरेन्द्र अवाना


नोएडा : रघुराज सिंह  वरिष्ठ कांग्रेसी नेता  ने  1985 एनसीआर एक्ट पर चर्चा करते हुए कहा कि आज शोशल मीडिया पर एक पोस्ट बहुत तेजी से वायरल हो रही है । जिसमे कुछ अखबारों में छपी खबर है और कुछ में औद्योगिक सचिव आलोक टण्डन द्वारा लिखित चिट्ठी है ।
उसमे जनप्रतिनिधियों व कुछ नोकरशाहो के नाम है । वो चिट्ठी मा० मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के साथ किसानों की समस्याओं से सम्बंधित ब्यौरा है । जिसका जबाब आलोक टण्डन ने सबको दिया है । उसमें उन्होंने मुख्यतः दो बातों पर ज्यादा फोकस किया है आबादी जैसी है जहां है को गैर कानूनी बताया है । पहले तो में इसका जबाब देना चाहता हूँ क्योंकि फेसबुक पर चमचो की वाह वाह लूटने के लिये बड़े ही उत्सुक है कुछ लोग । 
श्री मान आलोक टण्डन शासन और प्रशासन को गुमराह कर रहे या शासन और प्रशासन दोनो ही इनके द्वारा जनता को मूर्ख बनाने का कार्य करवा रहा है । गौतमबुद्धनगर एनसीआर में आता है और एनसीआर में भूमि का अधिग्रहण एनसीआर एक्ट 1985 के तहत ही होगा । कानून किसी की बपौती नही है जो चाहे जब चाहे  तोड़ मरोड़ कर जनता के सामने पेश कर दे ।  नोएडा में लगभग 13000 हजार हेक्टेयर भूमि पर नोएडा प्राधिकरण का अवैद कब्जा है यानी गैर कानूनी रूप से अधिग्रहण कर कब्जा कर बिल्डरों को बेचने का काम किया है । एनसीआर बोर्ड में प्रदेश के मुख्यमंत्री ,मुख्य सचिव, शहरी विकास मंत्री स्वम सदस्य होते है । दूसरा ग्रेटर नोएडा में भी एनसीआर बोर्ड के अनुसार लगभग 34000 हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि का अधिग्रहण गैर कानूनी है । इसी प्रकार यमुना प्राधिकरण तो एनसीआर बोर्ड  में कहीं है ही नही । अब बताओ कि कानून संसद / विधानसभाओ में बनते है या नोकरशाहो व तथाकथित नेताओ के घर पर बनते है । ये सब लोग एनसीआर एक्ट 1985 पर चर्चा क्यो नही करते क्योकि इनकी चोरी खुलेगी ? वेेध और अवेध की परिभाषा अब आप सबलोग स्वम ही तय करे क्या है ? रही जनप्रतिनिधियों की कृपया आज इसका भी खुलासा हो जाना चाहिये कि हमारे जिले के जनप्रतिनिधियों की कितनी भूमि का अधिग्रहण हुआ है , किसानों की राजनीति करने वाले कितने धरती पुत्र है, पूरे जिले में प्राधिकरण में चक्कर लगाकर धन्दा करने वाले इस छेत्र के किसानो के हमदर्द  कहलाते है । मेरा सभी से आग्रह है खास कर अपने जनप्रतिनिधियों से की अगर आप ईमानदारी से ग्रामीणों का भला चाहते है,किसानों की भलाई चाहते है तो आमने सामने जनता में बैठ कर एनसीआर एक्ट 1985 पर चर्चा करने का साहस करें  लोगो को मूर्ख ना बनाये । शोशल मीडिया बधाई तो ऐसे बट रही है जैसे कोई ऐसा काम हो गया जिसका होना सम्भव नही था । कम से कम शासन का पत्र पढो जो आलोक टण्डन जी ने लिखा है ।  लिखना तो में बहुत कुछ चाह रहा हूँ मगर क्या करूँ मर्यादा इसकी इजाजत नही देती !
कोरोना वायरस एक महामारी है और गौतमबुद्धनगर में तीनों प्राधिकरण कोरोना से भी भयानक है , इनमें जो नोकरशाह वो तो कोरोना के भी बाप है ।जब तक व्यक्ति तबाह,बर्बादी के अलावा सड़क पर नही आ जाता तब तक इन्हें चैन नही मिलता । दिल्ली में भारत सरकार ने 1700 कुछ अवैद कालोनियों को वैद करने का विधेयक लाकर लोगो को राहत देने का काम किया,उसकी जमीन किसकी है क्या आलोक टण्डन जी बतायेगे  ? 
अभी हाल ही में प्रधानमंत्री व केंद्रीय मंत्री ने स्वम घोषणा की थी कि जो ग्रामीण व्यक्ति है उसको उनके घरों का मालिकाना हक मिलेगा, क्या देश के प्रधामंत्री का वक्तव्य एक दिखावा है इस पर भी आलोक टण्डन व अन्य नोकरशाह जनता को बताने का कष्ट करेगे । इन बयानों के बाद भी अगर जनप्रतिनिधि चुप रहते है तो इसका मतलब आप सब स्वंम निकालना क्या होगा ?  कौन कौन तबका इस नेक्सेस में शामिल है पता चल जायेगा ।


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