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राजनीति एक सेवा का माध्यम है ना कि धन्धा ! रघुराज सिंह

फ्यूचर लाइन टाईम्स



धीरेन्द्र अवाना 


नोएडा  : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता  एवं समाजसेवी रघुराज सिंह राजनीति पर अपने विचार रखते हुए कहा कि राजनीति एक सेवा है ना कि कोई धंधा है मेरी नजर में राज्यसभा सदस्य बनने के लिये राजनीतिक दलों के लिये योग्यता ?
दिल्ली में तीन मूर्ति एक जानी पहचानी जगह है । वहाँ पर देश के पूर्व प्रधानमंत्री प०जवाहर लाल नहेरु जी रहा करते थे । अब उसे एक म्यूजियम में तब्दील कर दिया,वहाँ पर अब एक पुस्तकालय है और एक केंटीन भी है । में भी अपने एक सीनियर साथी गणेशशंकर पांडे से मिलने वही पर जाता रहा हूँ । वही केंटीन में बैठ कर चर्चा करते है । वहीँ पर एक सज्जन  प्रो० श्री राकेश सिन्हा को भी अक्सर बैठे हुऐ देखता था । टीवी पर भी देखा तो उनको टीवी पर संघ विश्लेषक के रूप में अपने विचार रखने के लिये बुलाया जाता रहा होगा ।  एक दिन मेने उनसे पूछ लिया कि आप तो संघ के बारे में बड़ी बड़ी बहस करते है टीवी पर । क्या आप डवलपमेंट के बारे में जानते है और जिसको आप एनसीआर कहते है जिसमे डवलपमेंट का कानून भी है । आप नियम कायदे कानून की बात बहुत करते है कृपया इस पर भी कुछ चर्चा करेंगे तो में आपको कुछ तथ्य बताना चाहता हूँ जिससे आप उस पर भी चर्चा करेंगे तो जनता का भला होगा । उनसे ग्रामीण व किसानों के बारे में भी बताने का छोटा सा प्रयास किया फिर उन्होंने मुझसे मेरा नाम और नम्बर लेकर बोले कि किसी दिन बैठ कर इन सब विषयो पर चर्चा जरूर करेंगे ।  फिर महोदय प्रो० राकेश सिन्हा मुझे कभी तीन मूर्ति में नही मिले । मेरे पास महोदय का कोई नम्बर नही था इसलिये में कोई सम्पर्क नही कर पाया और नाही सिन्हा साहब ने कभी कोई सम्पर्क किया बल्कि तीन मूर्ति मे मुझे कभी दिखे भी नही,हो सकता इसके बाद उन्होंने आने का समय बदल दिया हो हमारा समय तो अक्सर वही दोपहर का ही होता था । ये बाते बहुत पुरानी है अब में भी कम ही जा पाता हूँ । कुछ दिनों बाद टीवी पर देखा तो महोदय राज्यसभा सदस्य बन गये ।  में ये नही समझ पाया कि राकेश सिन्हा जी मे ऐसी क्या काबलियत थी जो राज्यसभा सदस्य बनाये गये सिवाय आरएसएस समर्थक होने के अलावा । वैसे मुझे नही लगता कि उनको कोई व्यवहारिक ज्ञान होगा ,ज्ञान जरूर होगा वो भी सिर्फ किताबी ज्ञान ! मुझे लगता है सभी राजनीतिक दलों में राज्यसभा देने की एक ही प्रक्रिया है क्योंकि  ज्यादातर टीवी पर बहस करने वाले ही राज्यसभा में दिखते है कोई राजनीतिक कार्यकर्ता नही दिखता  ? 
मेरा इस पोस्ट को लिखने का मतलब तो अब सभी को समझ आ गया होगा । अभी ताजा उदाहरण सुप्रीमकोर्ट के मुख्यन्यायधीश रंजन गगोई जी को राज्यसभा दी गई । विदेश मंत्री नोकरशाह को बनाया गया । इससे तो राजनीतिक कार्यकर्ता और राजनीति करने वाले लोगो से राजनीतिक दलों में दूरियां पैदा हो गई । जिसके कारण आज राजनीतिक दलों व राजनेताओ के प्रति लोगो की सोच खराब है । अगर इस नेक्सेस को रोका नही गया तो भविष्य जरूर खत्म होगा लोग गुलामी की तरफ,चमचागिरी की तरफ ही बढेंगे । राजनीति एक सेवा का माध्यम है ना कि धन्धा ?


 


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