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लोकल ब्रांड को सर्वोपरी मानते हुए उसका प्रचार प्रसार भी करना है : प्रधानमंत्री

फ्यूचर लाइन टाईम्स 



मोहित खरवार  
नोएडा  : श्याम सिंह चौधरी एडवोकेट ने माननीय प्रधानमंत्री के ओजस्वी विचारों की चर्चा करते हुए बताया कि आज यशस्वी प्रधानमंत्री ने अपने राष्ट्र संदेश मे देश को संबोधित करते हुए कहा कि कोरोना वैश्विक महामारी के खिलाफ भारत मजबूती के साथ लड़ रहा है। ये एक ऐसा दुश्मन है जो अकल्पनीय है और अदर्शनीय है। ऐसा संकट हमने न देखा है और न सुना है। हमे इस संकट से न हारना है, न टूटना है, न थकना है। हमारा संकल्प इस संकट से भी विशाल होगा। जबकि दो पड़ोसी देश हमारे सिरहाने पर संभावित युद्ध के लिये तत्पर है। भारत की संस्कृति, भारत के संस्कार, उस आत्मनिर्भरता की बात करते हैं जिसकी आत्मा वसुधैव कुटुंबकम है। एक वायरस ने दुनिया को तहस-नहस कर दिया है। हमारे पास कोरोना से बचने के लिए कोई संसाधन नहीं थे पर आपको यह जानकर बड़ी प्रसन्नता होगी कि भारत में ही हर रोज 2 लाख PPE और 2 लाख एन-95 मास्क बनाए जा रहे हैं। सदियों से हमारे ज्योतिषियों ने भविष्यवाणी की थी की 21वीं सदी भारत की होगी। भारत वासियों के सहयोग से ये चरितार्थ होती हुई प्रतीत हो रही है। एक राष्ट्र के रूप मे हम बहुत अहम मोड पर खड़े है। यह आपदा, भारत के लिए एक संकेत लेकर आई है, एक संदेश लेकर आई है, एक अवसर लेकर आई है। इसका मार्ग एक ही है- "आत्मनिर्भर भारत"। भारत की आत्मशक्ति की भव्य इमारत पांच स्तंभ पर खड़ी है। 1.इकोनॉमी, 2.इंफ्रास्ट्रक्चर, 3.सिस्टम , 4.डेमोग्राफी, 5.डिमांड । देश में डिमांड बढ़ाने के लिए हमारी सप्लाई चेन का मजबूत होना बहुत जरूरी है। हम आपूर्ति की उस व्यवस्था को मजबूत करेंगे, जिसमें हमारे देश की मिट्टी की महक हो और मजूदरों के पसीने की खुशबू हो। अब हमे अपने बारे में ही सोचकर अपने लोकल ब्रांड को सर्वोपरी मानते हुए उसका प्रचार प्रसार भी करना है और उसे लोकल से ग्लोबल बनाने में अहम भूमिका निभानी है। आत्मनिर्भरता- आत्मबल और आत्मविश्वास से ही से संभव है। प्रधानमंत्री जी ने 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज की घोषणा भी की। उन्होंने कहा, ‘यह पैकेज हमारे लघु, मंझले उद्योगों के लिए है, यह पैकेज उस श्रमिक, किसान के लिए है, जो देशवासियों के लिए दिन-रात परिश्रम करता है। यह हमारे देश की GDP का केवल 10℅ होगा। 18 मई के बाद जो लॉकडाउन 4.0 होगा, वह कोरोना वैश्विक महामारी व देश की आर्थिक स्थिति को देखते हुए होगा। हमे कोरोना महामारी के दौरान हुए तीन लॉकडाउन ने कोरोना के साथ जीने का अनुभव करा दिया है और इसी के साथ सावधानीपूर्वक जीना होगा। 


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