फ्यूचर लाइन टाईम्स
धीरेन्द्र अवाना
नोएडा : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं समाजसेवी रघुराज सिंह ने कहा कि बहुत लोग मुगालते में थे कि देश को न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका और मीडिया मिलकर चला रहे है ? भला हो चीन का उसने कोरोना वायरस को पैदा किया और उस पर धन्यवाद अपने प्रधान सेवक का कि उन्होंने हवाई यात्रा के माध्यम से देश को कोरोना के दर्शन करवा दिये ! अगर चीन और प्रधानसेवक की इच्छा नही होती तो हमे पता ही नही चलता कि देश को तो किसान और मजदूर ही चला रहे है । मेरी सभी से हाथ जोड़कर प्रार्थना है।
कि इस विपदा की घड़ी में देश की जनता को अब विकास के मॉडलों के चश्मे को उतारकर हकीकत की तस्वीर देखे और समझे कि देश आज किस स्थिति में है । पूरे भारत के शहरों से लोग पलायन कर रहे है क्यो ? अगर शहरों का विकास सही होता तो शायद ये नोबत नही आती । आपने सुना है क्या मैंने तो नही सुना किसी भारत देश के अलावा किसी देश मे इस तरह से पलायन हुआ हो तो फिर हमारे यहॉ ही क्यो ? इसलिये ये चारों स्तम्भो द्वारा आम जनता को जो तस्वीर विकास की दिखाई है वो गलत है । असल भारत तो गाँव मे ही रहता है । सोचो अगर ग्रामीण, किसान,मजदूर अन्न पैदा ना करें तो ये तथाकथित शहर क्या खायेंगे । इसमें एक इन चारों के गठजोड़ का एक ताजा उदाहरण आपको दे रहा हूँ। लगभग 35 से 40 सालो से लगभग देश की नदियों को साफ करने के नाम पर अरबो खरबो रुपया जनता खप जाता है इन सबकी जेबो में फिर भी नदिया साफ नही हो पाई बल्कि इसको ये कह सकते है इतने वर्षों से नदियों की सफाई के नाम पर जो पैसा खाया जाता रहा है अब तक उससे तो इतना डवलपमेंट हो सकता था जिससे देश की तस्वीर बदल सकती थी । लॉकडाउन में प्रकृति ने बगैर पैसे के ही 50 दिनों में नदियों को काफी हद तक साफ कर दिया फिर भी समझ नही आया विचार करो क्यो ? देश मे आजकल की राजनीति व नोकरशाही धन्दे की हो गई है । इसकी सफाई करनी पड़ेगी वरना देश फिर एक बार अराजकता व गुलामी की तरफ बढ़ रहा है । इसका भी प्रमाण की ईस्टइंडिया कम्पनी व्यापार करने आई थी और राज कर बैठी । इसी प्रकार ये उन्ही की तरह जनता को गुलाम समझते है तभी आज देश की आधी से ज्यादा आबादी सड़को पर है ।
मूर्खताओं की कारगुजारियों से बाहर निकलिये वरना इससे भी बदत्तर हालात होंगे जो किसी के बस में नही रहेंगे ।
चीन के कोरोना को तो हरा सकते है देश वासी, लेकिन देश के अन्दर जो भारतीय कोरोना है उसे हराओ तभी निजात मिलेगी ।
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