फ्यूचर लाइन टाईम्स
धीरेन्द्र अवाना
नोएडा : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं वरिष्ठ समाजसेवी रघुराज सिंह ने कोरोनावायरस पर अपने विचार रखते हुए कहा कि कोरोना से मुझे कुछ बातों का ज्ञान हुआ जो पूरे जीवन मे नही हुआ । मै समझता था कि समाज मे मिलना जुलना इत्यादि ही समाजिकता है ,मगर झूठ, जो लोग रोज मिलने को आतुर रहते थे वो आजकल तो फोन पर भी उपलब्ध नही है , फला की शादी में जरूर जाना है अब जहाँ भी शादी हो रही है 5 से 10 लोगो के बीच काश ये रिवाज़ / कानून बन जाये तो जनता का कई प्रकार से फायदा होगा पैसे की बचत,पॉल्यूशन से बचाव, ट्रैफिक से निजात इत्यादि !
कल टीवी पर ही देखा कि निगम बोधघाट पर सारे लॉकर फुल है अंतिम संस्कार के बाद अस्थियो के कोई लेने ही नही आ रहा यहाँ तक कि परिवार के लोग अंतिम संस्कार में सम्लित होने से बचते है, तो फिर किसके लिये जद्दोजहद भाई ? रोज शोसल मीडिया,टीवी पर खबर की फला के परिवार में देहांत हो गया परिवार के लोग शव लेने नही आ रहे वाह क्या रिश्ते है ? मन्दिर, मज्जिद,गुरुद्वारा, चर्च सब सुने है तो परमेश्वर अब अकेले कैसे है ,इससे सिद्ध हो गया कि परमात्मा सर्व व्यापी है नाकि इन खण्डरों मे जो इंसान द्वारा निर्मित है ।
अंत मे एक ऐसे मुद्दे पर आता हूँ जो हर जनमानस और देश की लगभग सभी समस्याओं से जुड़ा है । वो है डवलपमेंट यानी विकास । ये डवलपमेंट या विकास आजकल देश के सभी शहरों में देखने को मिल रहा है, कि लोगो का पलायन तथाकथित शहरों से, जहाँ वास्तविक जीवन है,जहाँ से लोगो को रोटी मिलती है,जहाँ से जनता का पेट भरता है, देश के गॉंवों की तरफ पलायन हो रहा है तो फिर विकास के नाम पर जो सरकारों,नेताओ,नोकरशाहो ने भूमि बेचने का धन्दा किया है क्या वो विकास या जो ग्रामीणों को लूटने का काम किया है वो विकास , तो मेरे देश वासियों कृपया आप खुद ही तय करें कि भूमि को हड़पकर धन्दा करना विकास है या तथाकथित कंक्रीट के शहर विकास की परिभाषा है जिसे आज सब छोड़ वही वापस लौट रहा है आदमी जहाँ से चला था क्यो ?
असली भारत गॉंवों में ही है, अगर शहर के नाम पर जो कंक्रीट इस देश के नेताओ,नोकरशाहो और तथाकथित उद्योगपतियों ने बनाये वो विकास या डवलपमेंट नही हो सकता ये सब कोरोना ने देश की जनता को सिखाया है । फिर भी जान कर अनजान बनें तो मूर्खता की पराकाष्ठा होगी ?
अब भी सभल जाओ वरना प्रकृति जब करवट लेगी तो पूर्णतः तबाही के लिये मानव खुद जुम्मेवार होगा ।
प्रकृति ने कोरोना के तहत लॉकडाउन में स्वंम अपने आपको दुरुस्त किया है,ओजोन परत एक माह में ही ठीक हो गई, नदियां जो वर्षो से सरकारों,नेताओ और नोकरशाहो के लिये पैसे कमाने का जरिया बनी हुई थी व लोगो को मूर्ख बनाने का जो काम ये लोग कर रहे थे प्रकृति ने स्वंम ही एक महीने दुरुस्त कर दिया नदियों को । पूरी दुनिया के लिये सबक है कि प्राकृतिक संसाधन ही सबकुछ है मानव निर्मित संसाधन मात्र एक धोखा है ? देश को पुनः गॉंवों व खेती की तरफ ले जाना पड़ेगा वही से हम पुनः विकसित होकर सोने की चिड़िया कहला सकते है ! चर्चा जारी रहेगी ......
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