फ्यूचर लाइन टाईम्स.(धीरेन्द्र अवाना)
नोएडा।आईएएस रानी नागर प्रकरण अब शांत होने के नाम नही ले रहा है।दिन प्रतिदिन यह मामला तूल पड़ता ही जा रहा है।पहले पूर्व मुख्यमंत्री मायावती उसके बाद बिजनौर से बसपा सांसद मलूक नागर,कैंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर,राज्यसभा सांसद सुरेन्द्र नागर,राज्यस्थान से सांसद सुखबीर जौनापुरिया,दिल्ली से सांसद रमेश बिधुड़ी,दादरी विधायक तेजपाल नागर व लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने हरियाणा सरकार को पत्र लिखकर इस मामले में कारवाई करनी की मांग की है।अब इस प्रकरण में सामाजिक संगठन जन आंदोलन ने भी मोर्चा खोलते हुये मुख्यमंत्री से इस मामले में कारवाई करने के बाद अब आईएएस रानी नागर का इस्तीफा अस्वीकार करने के विषय में राष्ट्रपति को पत्र लिखा है।आपको बता दे कि जन आंदोलन संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमवीर आर्य ने भी रानी नागर के सर्मथन में उतर करके राष्ट्रपति को लिखे अपने पत्र में कहा कि जन आंदोलन सामाजिक संगठन जो पूरे देश में संगठन का संचालन करते हैं।संगठन की तरफ से आपसे विनम्र निवेदन यह है कि जन आंदोलन एक सामाजिक संगठन आपसे विनम्र निवेदन करता है कि हरियाणा कैडर की आईएएस रानी नागर वर्तमान में चंडीगढ़ में भ्रष्टाचारियों से क्षुब्ध होकर के दिनांक मई 4, 2020 को दिए गए इस्तीफे मैं एक लाचार स्त्री न्याय की गुहार लगाते लगाते समाज एवं देश में फैले भ्रष्टाचारियों के आगे घुटने टेक दिए जिसका जीता जागता उदाहरण आईएएस रानी नागर चंडीगढ़ मे मौजूद का इस्तीफा दर्शाता है।रानी नागर द्वारा बताए अनुसार मैं रानी नागर पुत्री श्री रतन सिंह नागर निवासी ग़ाज़ियाबाद गाँव बादलपुर तहसील दादरी ज़िला गौतमबुद्धनगर आप सभी को सूचित करना चाहती हूँ कि मैंने आज दिनाँक 04 मई 2020 को आई. ए. एस. के पद से इस्तीफ़ा दे दिया है। मैं व मेरी बहन रीमा नागर माननीय सरकार से अनुमति लेकर चंडीगढ से अपने पैतृक शहर ग़ाज़ियाबाद वापस जा रहे हैं। हम आपके आशीर्वाद व साथ के आभारी रहेंगे। अनेकों बार उच्च अधिकारियों से अपने शोषण की आवाजें पहुंचाई गई लेकिन उच्च पदों पर बैठें इतने ऊंचे स्तर पर बैठे हुए थे की एक अबला स्त्री की पीड़ा की गुहार उन तक नहीं पहुंच पाई और आज जिसका उदाहरण आईएस रानी नागर ने मेल के माध्यम से इस्तीफा देकर सिद्ध कर दिया कि केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार स्त्री जाति की बातें करना केवल और केवल दिखावा ही है। एक आईएएस अधिकारी भ्रष्टाचार पीड़िता अपने बचाव के लिए गुहार लगाए तो उसकी भी आवाज नहीं सुनी गई तो आम जन की आवाज कहां तक सुनी जाएगी यह विचारणीय प्रश्न है। रानी नागर आईएएस प्रकरण से ऐसा प्रतीत होता है कि देश में भ्रष्टाचारियों का बोलबाला है और भारत देश जिसको केंद्र सरकार विश्व गुरु बनाने की तरफ अग्रसर है वहीं पर स्त्री जाति का अपमान किया जा रहा है स्त्री जाति असहाय नजर आ रही है । किसी स्त्री द्वारा सम्मानित पद को त्याग करना केवल भ्रष्टाचार के कारण यह देश का दुर्भाग्य है।अतः जन आंदोलन एक सामाजिक संगठन की तरफ से आप सभी से विनम्र निवेदन है आईएस रानी नागर का इस्तीफा अस्वीकार किया जाए और रानी नागर द्वारा सुनील गुलाटी व चंडीगढ़ के पुलिस विभाग के अधिकारियों पर लगाए गये आरोपों की निष्पक्ष जांच कराते हुए दोषी पाए जाने पर कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जाए। जिससे यह सिद्ध हो की सरकारों की बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ करनी और कथनी में जरा भी अंतर नहीं है और भविष्य में भ्रष्टाचार करने एवं अधीनस्थ के साथ दुर्व्यवहार करने वालो को सबक प्राप्त हो ।
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