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90 % रोजगार खेती से पैदा होते है : रघुराज सिंह

फ्यूचर लाइन टाईम्स



धीरेन्द्र अवाना


नोएडा  : रघुराज सिंह वरिष्ठ कांग्रेसी नेता  एवं समाजसेवी  से फ्यूचर लाइन टाईम्स नोएडा के संवाददाता धीरेंद्र अवाना से कोरोना वायरस पर विशेष बातचीत के दौरान कहा कि कोरोना एक वैश्विक महामारी है । जो व्यक्ति इसके पीड़ित होंगे या जो इसकी चपेट में आयेंगे । लॉकडाउन खुलने पर प्रदूषण फिर बढेगा तो कोरोना वायरस की चपेट में आने वाले व्यक्तियों की मौत का आंकड़ा बहुत बढ़ सकता है जिसका अंदाजा अभी करना मुश्किल ही नही बल्कि ना मुमकिन है । 
मेरा मानना है कि जलवायु के इस परिवर्तन को बरकरार रखने के लिये सभी देशों की सरकारों व लोगो को इस पर जरूर सोचना चाहिये । 
में अपने देश भारत वासियों से आग्रह करना चाहता हूं कि इस वातावरण को बरकरार रखा जा सकता है । भौतिकवाद से बाहर निकलो ओर प्रकृति के साथ जीना सीखोगे तो 90 % समस्याओ का समाधान हो जायेगा । देश की सरकारों और जनता को खेती की तरफ बढ़ावा देना चाहिये । जिस आधुनिकता के संसाधनों का प्रयोग हम रोजमर्रा की जिंदगी में करते है उनको त्यागना पड़ेगा अगर आने वाली पीढ़ियों को बचाना है तो । आजकल पूरी दुनिया मे खेती में भी अलग अलग तरह के संसाधनों का प्रयोग हो रहा है ।भारत तो वैसे भी कृषि प्रधान देश है ।भारत मे अगर रोजगार की तुलना की जाय तो आज भी उद्योगों के बदले ग्रामीण परिवेश व खेती में ही रोजगार ज्यादा है बल्कि देश मे लगभग 90 % रोजगार खेती से पैदा होते है ।  फिर हम क्यो देश को प्रदूषित करने पर तुले है इस पर विचार करोगे तभी इसका समाधान भी निकलेगा । देश मे प्राकृतिक संसाधन व खेत से उतपन्न खाद्यपदार्थों के माध्यम से हम अपनी अर्थव्यवस्था को सुधार सकते है । मगर देश की नोकरशाही,नेता, कॉरपोरेट,बिल्डर जैसी लॉबी लोगो को दिग्भर्मित करके अपना उल्लू सीधा कर लोगो को मूर्ख बना रहे है। 
इसके दो उदाहरण आपके सामने रख रहा हूँ ।कॉरपोरेट लॉबी ने डाई,यूरिया व केमिकल खेती के प्रयोग में लाने की परंपरा अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिये डाली और अब वो ही लोग ऑर्गेनिक खेती के लिये लोगो को प्रोत्साहित कर रहे है क्यो । पहले जहर बाद में बंद क्यो कृपया इस पर विचार जरूर करें । दूसरा देश के शहरों को कंक्रीट के जंगल बनाकर उनको स्लम बस्तियों में तब्दील भी ये कॉरपोरेट,नेता,नोकरशाह,बिल्डर सरकारों के माध्यम से भूमि के अवैद धन्दे में शामिल होकर धन अर्जित करने में लगे है और लोग स्लम में रहने को मजबूर है ।
कृपया इस पर भी विचार जरूर करें ।
इन सबके पीछे जनता को भी जागरूक होना पड़ेगा । अगर शहरों को बसाने का तरीका व डवलपमेंट कंक्रीट का जंगल बनाने को सही ठहराया जा सकता तो पूरे देश से कामगार मजदूरों को अपने अपने गॉवो में नही लौटना पड़ता समझने के लिये इतना ही बहुत है मगर कुतर्कियो की समझ यानी जरूरत से ज्यादा बुद्धिवान व मूर्ख को समझना दीवार में सर मारने के समान है । मेरा सभी से आग्रह है कोरोना को भगाओ और साथ मे इस प्रकृति द्वारा शुद्ध वातावरण को भी बचाओ अपनी भविष्य की पीढ़ियों के लिये । चर्चा आगे भी जारी रहेगी ।


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