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9 मई को राजपूत सम्राट महाराणा प्रताप  की जयंती पर दीप जलाकर व प्रतिमा को पुष्प अर्पित करके जयंती मनाई जाए..ऋषि पाल परमार

फ्यूचर लाइन टाईम्स.मनोज तोमर ब्यूरो चीफ

 गौतम बुध नगर  ..अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष ऋषि पाल परमार साथियों जैसा कि आप सभी जानते हैं 9 मई को राजपूत सम्राट महाराणा प्रताप की जयंती मनाई जाती है जोकि पूरे भारतवर्ष में और जहां जहां पर भारतीय रहते हैं उन सभी देशों में भी महाराणा प्रताप जी की जयंती को बड़े ही भव्य तरीके से मनाया जाता है क्योंकि सभी जानते हैं कि इस पृथ्वी पर अगर कोई राजा हुआ है जिसने अपने स्वाभिमान के साथ समझौता नहीं किया है और जिसने हमेशा ही अपने राष्ट्र और अपने देश को अपनी जान से ज्यादा माना है ऐसे राजा का नाम क्षत्रिय शिरोमणि महाराणा प्रताप है इस बार महाराणा प्रताप जयंती उस समय पढ़ रही है जब पूरा विश्व कोरोनावायरस जैसी महामारी से ग्रसित है जिसने दुनिया के लगभग ढाई लाख लोगों की जिंदगी को निकल लिया है और यह वायरस ऐसा वायरस है जो इंसानों से इंसानों के मध्य फैलता है इसलिए ऐसे समय में अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा ट्रस्ट अपने सभी देशवासियों और देश देश से बाहर रहने वाले सभी भारतीयों से निवेदन करता है कि वह इस बार महाराणा प्रताप जयंती को अपने घर पर ही अपने परिवार के साथ दीप प्रज्वलित करके अपने पूर्वज को याद करके ही मनाएं हम सभी का यह दायित्व बनता है कि देश मैं कोरोना जैसे वायरस को ज्यादा फैलने से रोका जाए इसलिए सभी भारतीय अपनी श्रद्धा के अनुसार अपने घरों पर सायः के समय अपनी इच्छा अनुसार दीप प्रज्वलित करें और क्षत्रिय सम्राट महाराणा प्रताप जी की प्रतिमा को पुष्प अर्पित करके उनका आशीर्वाद में क्योंकि जीवन में अगर सफल होना है तो अपने पूर्वजों का और अपने बुजुर्गों का और अपने भगवान का हमेशा स्मरण करते हुए उनका आशीर्वाद लेते रहना चाहिए और क्षत्रिय समाज का यह दायित्व है कि वह आज समाज का प्रतिनिधित्व करें और समाज को और देश को सही रास्ता दिखाएं राजपूत कभी भी अपने लिए नहीं जीता है उसके लिए उस की जाति उसका धर्म उसका समाज उसका राज्य और उसका देश ही सर्वोपरि होता है महाराणा प्रताप जी ने कभी भी किसी की स्वाधीनता स्वीकार नहीं की आज कुछ लोग अकबर को महान बताते हैं वह सच में अकबर की ही संतान है क्योंकि औलाद हमेशा अपने बाप के ही गुण गाती है पर सच्चाई यह है उस अकबर में इतनी भी हिम्मत नहीं थी कि वह महाराणा प्रताप से आमने सामने का युद्ध कर सके और इतिहास बताता है की अकबर ने कभी भी महाराणा प्रताप से कोई युद्ध नहीं किया हमेशा उसने अपने सेनापति को ही युद्ध क्षेत्र में भेजा था


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