लाइन टाईम्स.. ब्यूरो चीफ मनोज तोमर गौतमबुधनगर
*" यादों का सफर"*
वक्त मेरा आजकल कुछ यूँ ही गुज़र रहा
बस और बस सिर्फ घर पर गुज़र रहा
खंगाल रहा हूँ यादों के उस बक्से को
जिसे संभाल कर रक्खा मैंने बरसों से
सफर कर रहा हूँ ।
उन्हीं यादों के गलियारों में
जी रहा हूँ मैं उन्हीं यादों में
यह जीवन अनुभवों की
खट्टी मीठी यादों की
किताब है साहब
बस उसी के पन्ने पलट
जीवन बसर कर रहा हूँ।
■ पंकज सक्सैना
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